
कब है रंगभरी एकादशी? जानें महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि
फाल्गुन मास का महिना कई व्रत और त्योहारों को समेटे हुए है। जैसे की इसी माह में आमलकी और रंगभरी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसको मानने की प्रथा भी बेहद दिलचस्प है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ काशी आये थे।
दोनों के आगमन के साथ ही काशी में होली मनाई जानें लगती है। वहीं, पुरे उत्साह के साथ छह दिनों तक लोग धूमधाम से होली मनाते हैं। ऐसे में आपके भी जहन में ये सवाल होगा कि इस बार कब रखा जाएगा आमलकी या रंगभरी एकादशी का व्रत…
तारीख और मुहूर्त
आमलकी/रंगभरी एकादशी की शुरुआत 19 मार्च को रात में 12 बजकर 22 मिनट से हो रही है और 20 मार्च को रात में 2 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी यानी कि आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च को पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा और पारण 21 मार्च को सुबह 9 बजे से पहले कर सकते हैं।
पूजा विधि
इस दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर एक लोटे में जल ,कच्चा दूध, शहद, गंगाजल, चावल मिलाकर उससे भगवान शिव अभिषेक करें। महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार का सामान भी अर्पित कर सकती हैं। भगवान शिव को पसंद बेलपत्र ,शिवलिंग पर अर्पित करें ,शिवलिंग पर चंदन अबीर गुलाल चढ़ाएं,और फिर भगवान् से अपनी मनोकामना को कहें।
महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह किया था और रंगभरी/आमलकी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती काशी गए थे। एकादशी के दिन माता पार्वती का गौना किया गया था।