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भारतीय साहित्यिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्वपूर्ण था दिवंगत सुशील व्यास का योगदान

सुशील व्यास का निधन 12 जनवरी 2025 को हुआ गया, जो साहित्य और कला के क्षेत्र में एक महान शून्य उत्पन्न कर गया। वे 79 वर्ष के थे और इस लंबे जीवन में उन्होंने साहित्य, कविता, गीतकारिता और सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी बहुमूल्य छाप छोड़ी। उनका योगदान न केवल राजस्थानी साहित्य में, बल्कि पूरे भारतीय साहित्यिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्वपूर्ण था।

उनकी कविता और लेखन के विषय हमेशा समाज की गहरी समस्याओं, मानवीय संवेदनाओं और राष्ट्रीय विचारों से जुड़े होते थे। वे न केवल एक कवि, बल्कि एक सक्षम और प्रभावशाली गीतकार भी थे। उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों का सुंदर चित्रण होता था, जिससे वे व्यापक पाठक वर्ग के बीच प्रिय हो गए थे।

उनकी साहित्यिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण योगदान “जलते दीप” के साहित्यिक पृष्ठ संपादक के रूप में रहा। “जलते दीप” एक महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका थी, जिसमें उन्होंने कई प्रमुख रचनाओं को प्रकाशित किया और युवा लेखकों को प्रेरित किया। इसके माध्यम से उन्होंने साहित्यिक संसार में अपनी पहचान बनाई और नए लेखक व कवियों को एक मंच दिया।

इसके अलावा उनका योगदान कला और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी अत्यधिक रहा। वे कला त्रिवेणी के संस्थापक सचिव थे, जिसके तहत राजस्थानी फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया। इस महोत्सव ने न केवल स्थानीय कला को प्रोत्साहित किया, बल्कि फिल्म उद्योग से जुड़े विभिन्न कलाकारों और लेखक-निर्माताओं के बीच एक संवाद स्थापित किया। उनका यह कार्य कला और फिल्म क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल साबित हुआ।

सुशील व्यास ने 26 जनवरी और 15 अगस्त के राष्ट्रीय पर्वों के स्टेडियम कार्यक्रमों का भी सफलतापूर्वक संचालन किया। इन आयोजनों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उन्होंने इन राष्ट्रीय उत्सवों को और भी सशक्त और प्रभावशाली बना दिया। उनकी सहज शैली और प्रस्तुति ने इन समारोहों को यादगार बना दिया।

इसके साथ ही, वे पश्चिमी भारत फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई के एक सम्मानित सदस्य भी रहे थे। उनके कार्यों ने न केवल साहित्यिक दुनिया में उनकी साख बनाई, बल्कि उन्होंने फिल्म लेखकों और रचनाकारों को एकजुट करने का भी काम किया।

सुशील व्यास के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गहरी संवेदना व्यक्त की है, जो इस बात का प्रमाण है कि उनकी कृतियों और कार्यों की समाज में कितनी गहरी छाप थी। उनका निधन न केवल साहित्य और कला जगत के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

व्यास की साहित्यिक यात्रा और सांस्कृतिक योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके शब्दों और कार्यों से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें सम्मान देने और उनके मार्ग पर चलने की कोशिश करेंगी।

उनका योगदान सदैव अमर रहेगा।

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