
धान कटाई के बीच जलने लगी पराली, 16 दिन में 342 मामले, पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक
पंजाब में इस बार धान कटाई के बीच ही पराली जलनी शुरू हो गई है। सूबे में 15 सितंबर से धान कटाई शुरू हुई है लेकिन बीते 16 दिनों के भीतर ही पराली जलाने के 342 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले दो सालों की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। 15 सितंबर से एक अक्तूबर तक इस बार सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। अमृतसर में सबसे ज्यादा 86 स्थानों पर पराली जली। सरकार के तमाम दावों के बावजूद पराली जलाने के मामलों में अंकुश नहीं लग पा रहा है। धान कटार्इ के बीच ही पराली जलने से आबोहवा बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है।
बीते दो वर्षों के मुकाबले इस बार एक अक्तूबर तक पराली जलाने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पंजाब में वर्ष 2021 में एक अक्तूबर तक जहां पराली जलाने के 228 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या 192 थी। इस वर्ष इन मामलों की संख्या 342 पहुंच गई है। इस तरह राज्य में 16 सितंबर से एक अक्तूबर तक 16 दिन में ही डेढ़ गुना से ज्यादा पराली खेतों में जला दी गई है।
पराली जलाने में पंजाब सबसे आगे
पंजाब में भले ही राज्य सरकार पराली प्रबंधन के अनेक उपाय कर रही है। इसके विपरीत केंद्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में धान की पराली जलाने वाले छह राज्यों में पंजाब सबसे आगे है। वर्ष 2022 में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच देश के छह राज्यों में पराली जलाने के कुल 69,615 मामले सामने आए थे। इनमें सबसे ज्यादा 49,922 मामले सिर्फ पंजाब से थे। वर्ष 2021 में भी पंजाब में पराली जलाने के सबसे ज्यादा 71303 मामले दर्ज हुए थे।
इस साल अमृतसर सबसे आगे
पिछले साल पंजाब के पांच जिलों- संगरूर, बठिंडा, फिरोजपुर, मुक्तसर और मोगा में पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा हुई थीं, जो राज्य में पराली जलाने की कुल घटनाओं का लगभग 44 प्रतिशत था। इस साल सरकार ने अपने एक्शन प्लान के तहत छह जिलों- होशियारपुर, मालेरकोटला, पठानकोट, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली) और एसबीएस नगर पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है लेकिन बीते 16 दिन के दौरान अमृतसर जिले में सबसे ज्यादा पराली जलाने के 86 मामले सामने आए हैं। वहीं, तरनतारन में भी पराली जलाने के 6 केस दर्ज हुए हैं।
बढ़ने लगा प्रदूषण का स्तर
पंजाब में पराली जलने की घटनाओं के साथ ही कई जिलों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। अमृतसर में जहां पराली जलाने के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं, वहां वायु प्रदूषण का स्तर एक अक्तूबर को जहां 86 था, वह बढ़कर 109 पहुंच गया है। इसी तरह मंडी गोबिंदगढ़ में प्रदूषण का स्तर 106 से बढ़कर 167 जा पहुंचा है।
इस बार पंजाब सरकार ने बनाया एक्शन प्लान
राज्य सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। 776 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। एक तरफ जहां पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की जाएगी, वहीं दूसरी तरफ पराली न जलाकर सहयोग करने वाले किसानों को प्रशासन सम्मानित भी करेगा। इस साल पंजाब में धान की बंपर पैदावार के अनुमानों के साथ ही लगभग 20 मिलियन टन धान की पराली निकलने का भी अनुमान है। इसमें 3.3 मिलियन टन बासमती की पराली भी शामिल है।
पंजाब सरकार ने इस साल पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक एक्शन प्लान सौंपा है। इसमें बताया गया है कि राज्य सरकार ने 2022 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत से ज्यादा कमी लाने का लक्ष्य रखा है। पराली को खेतों में जलाने के बजाय इसके निस्तारण के अन्य तरीकों के अधीन 1,17,672 सीआरएम मशीनें का उपयोग किया जाएगा।
यह अनुमान लगाया गया है कि 2023 में मशीनों के जरिये करीब 11.5 मीट्रिक टन और अन्य माध्यमों से 4.67 मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन कर लिया जाएगा। राज्य में इस समय 23,792 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित किए गए हैं, जिनकी मदद से किसान सीआरएम मशीन ले सकते हैं। सरकार ने 8,000 एकड़ धान क्षेत्र में बायो डीकंपोजर डालने की योजना भी बनाई है।
पराली जलाने वालों पर सख्ती की तैयारी
सरकार ने जिला प्रशासन से उन किसानों की सूची मांगी है, जिनके खेतों में बीते 16 दिन में जलती हुई पराली के चित्र सैटेलाइट के जरिये सामने आए हैं। सरकार किसानों के खिलाफ पराली जलाने और वायु प्रदूषण संबंधी विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज करने के अलावा, जमीन की रजिस्ट्रियों पर रेड साइन के पुराने नियम को कड़ाई से लागू करने का मन बना चुकी है। इस रेड मार्किंग के कारण किसानों को बैंकों से लोन नहीं मिल पाएगा।