स्थानीय शेयर बाजार की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख, विदेशी निवेशकों की कारोबारी गतिविधियों और मुद्रास्फीति के आंकड़ों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। एक विश्लेषक ने कहा कि मजबूत घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़ों और नीतिगत सुधारों के समर्थन से पिछले सप्ताह बेंचमार्क सूचकांक एक प्रतिशत से अधिक की बढ़त के साथ बंद हुए।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह भी घरेलू और वैश्विक स्तर पर काफी आंकड़े आएंगे। घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति का आंकड़ा 12 सितंबर को जारी किया जाएगा।’’ मिश्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर नजर रहेगी। इनमें उपभोक्ता मुद्रास्फीति, बेरोजगारी के दावे और उपभोक्ता धारणा शामिल हैं, जो फेडरल रिजर्व की नीतिगत अपेक्षाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इसके अलावा भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कोई भी नई सूचना बाजार की धारणा को और मजबूत कर सकती है।’’ पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 901.11 अंक या 1.12 प्रतिशत चढ़ गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 314.15 अंक या 1.28 प्रतिशत के लाभ में रहा।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौड़ ने कहा, ‘‘आगे की ओर देखते हुए, भारतीय शेयर बाजार इस सप्ताह सतर्क और आशावादी रुख के साथ शुरुआत कर सकता हैं। निवेशक विशेष रूप से उपभोग-आधारित और पूंजीगत व्यय-आधारित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।’’ विश्लेषकों का कहना है कि इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और रुपये-डॉलर का रुख भी इस सप्ताह बाजार का रुख तय करेगा।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया ने कहा, ‘‘यह सप्ताह भारतीय बाजारों के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा एक संभावित प्रोत्साहन के रूप में काम कर रही है जो बाजार की धारणा को बेहतर बना सकती है और क्षेत्रीय स्तर पर तेजी ला सकती है, जिससे निकट भविष्य में शुल्क की नकारात्मक धारणा का मुकाबला किया जा सकता है।’’
शेयर बाजार के लिए अगला बड़ा घटनाक्रम 16-17 सितंबर को होने वाली अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शोध प्रमुख-संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘इस सप्ताह के प्रमुख वृहद आंकड़ों में भारत और अमेरिका की मुद्रास्फीति, ईसीबी (यूरोपीय केंद्रीय बैंक) का ब्याज दर पर निर्णय और जापान की दूसरी तिमाही की जीडीपी आंकड़े शामिल हैं।
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