हाईकोर्ट ने कहा- अदालत से धोखा करने वालों से निपटना जरूरी
जालंधर के आर्य समाज मंदिर में हुए प्रेमी जोड़े के विवाह के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया गया कि इसे सरकार की ओर से कोई मान्यता नहीं है। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अदालत से धोखा करने वालों से निपटना जरूरी है और ऐसे में जालंधर के पुलिस कमिश्नर इस मामले की जांच करें।
याचिका दाखिल करते हुए प्रेमी जोड़े ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। याचिका में बताया गया कि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं और 21 दिसंबर को परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर दोनों ने विवाह किया था।
विवाह के प्रमाण के रूप में पंडित सुभाष चंद्र की ओर से जारी किया गया मैरिज सर्टिफिकेट भी पेश किया गया था। इस सर्टिफिकेट को देखते ही कोर्ट को शक हुआ और पाया गया कि इस पर जारी करने की तारीख मौजूद नहीं है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने इस पर दो गवाहों के हस्ताक्षर देखे और विवाह की फोटो देखी। कोर्ट ने पूछा कि दोनों गवाह फोटो में मौजूद क्यों नहीं है जिस का याची पक्ष जवाब नहीं दे सका। हाईकोर्ट ने पाया कि लड़की अभी दो माह पहले ही बालिग हुई है और ऐसे में कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच जरूरी है।
पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने कपूरथला के एसएसपी को आदेश दिया है कि वह पंडित की जांच कर बताएं कि क्या पंडित विवाह करवाने और प्रमाणपत्र जारी करने में सक्षम हैं। इसके साथ ही विवाह के स्थान और बाकी तथ्यों के बारे में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।



