लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चाइनीज मांझे की अवैध बिक्री और उसके उपयोग से हो रही जनहानि को लेकर एक बार फिर गंभीर चिंता जताई गई है। विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक और दिनेश कुमार गोयल ने इस मुद्दे को सदन में उठाते हुए चाइनीज मांझे की खरीद-फरोख्त पर पूरी तरह प्रभावी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सदस्यों ने इसे जनहित और लोक महत्व का विषय बताते हुए सरकार से इस पर स्पष्ट निर्णय लेने की मांग की है।
शुक्रवार को विधान परिषद में सदस्यों ने कहा कि मकर संक्रांति के आसपास पतंग उड़ाने की परंपरा के चलते चाइनीज मांझे की मांग बढ़ जाती है। हालांकि प्रदेश में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध है, फिर भी यह धड़ल्ले से बाजारों में उपलब्ध रहता है। चाइनीज मांझा सामान्य मांझे की तुलना में कहीं अधिक धारदार और मजबूत होता है, जो आसानी से नहीं टूटता और कई बार इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की मौत का कारण बनता है।
सदस्यों ने बताया कि चाइनीज मांझा गले में उलझने पर जानलेवा साबित होता है, इसी कारण इसे “किलर मांझा” भी कहा जाता है। बाइक या साइकिल सवार हों या पैदल राहगीर, यह सभी के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। प्रदेश के विभिन्न शहरों और गांवों से लगातार दुर्घटनाओं और मौतों की घटनाएं सामने आ रही हैं।
एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने कहा कि चाइनीज मांझे की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर सख्त कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। इसके बावजूद चोरी-छिपे इसका कारोबार जारी है। जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस समय-समय पर छापेमारी करती है, लेकिन इसके बाद भी अवैध बिक्री रुक नहीं पा रही है।
विधान परिषद सदस्यों ने कहा कि चाइनीज मांझा न केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है, बल्कि मानव जीवन और पशु-पक्षियों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। मकर संक्रांति जैसे पर्व के दौरान इसकी वजह से खतरा और बढ़ जाता है, ऐसे में सरकार को सख्त और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
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