
स्वयं को धारण कर अभिव्यक्ति करती है अयोध्या: मिथिलेश नंदनी
अयोध्या। साकेत महाविद्यालय में शनिवार को ‘अयोध्या से राम की लोकयात्रा’ विषयक संगोष्ठी हुई। महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि अयोध्या एक प्रकाश विश्वपुरी है, इसीलिए कभी अयोध्या परास्त और पराभव नहीं होती। अयोध्या को बैकुंठ कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या वह भूमि है जो स्वयं को धारण करती है स्वयं को अभिव्यक्त करती है। राम के नाम में डुबकी लगाने वाला भगवत स्वरूप हो जाता है, उसमें रामत्व आ जाता है।
उन्होंने कहा कि आचार संहिता से अनुष्य को मनुष्य नहीं बनाया जा सकता। जब जब मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति धर्म में नहीं होगी तो वह धर्म पर नहीं चल सकता।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ़ रामानंद शुक्ल ने कहा कि लोकनायक के चरित्र की हर किरण लोक-जीवन को प्रभावित और प्रेरित करती है। श्रीराम में हमें आदर्श लोकनायक के सभी गुण दिखाई पड़ते है।
गोष्ठी को त्रिनिडाडा से आई रामलीला की शोधकर्ता डॉ़ इंद्राणी रामप्रसाद ने भी संबोधित किया। संचालन अखिलेश पांडेय और संयोजन आशुतोष द्विवेदी ने किया। अभय निर्भीक व रामायण धर द्विवेदी ने अतिथियों का सम्मान किया।