नई दिल्ली। आठ माह तक चार महाद्वीपों की चुनौतीपूर्ण समुद्री यात्रा करने के बाद दो महिला अधिकारियों को लेकर, भारतीय नौसेना का पोत आईएनएसवी तारिणी 29 मई को स्वदेश लौटेगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने पिछले साल दो अक्टूबर को गोवा के नौसेना महासागर नौकायन नोड से भारतीय नौसेना के नौकायन पोत (आईएनएसवी) तारिणी को हरी झंडी दिखाई थी।
नौसेना के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि तारिणी के ध्वजारोहण समारोह की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह पर करेंगे, जो औपचारिक रूप से वैश्विक जलयात्रा के समापन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस दुर्लभ सफर को पूरा करते हुए लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के 29 मई को गोवा के तटों पर पहुंचेंगी।
प्रवक्ता ने कहा, ‘आठ महीनों की अवधि में नौसेना की जोड़ी (जिसे दिलरू के नाम से जाना जाता है) ने चार महाद्वीपों, तीन महासागरों और तीन ग्रेट केप में 25,400 नॉटिकल मील (लगभग 50,000 किमी) की दूरी तय की, जिसमें मौसम की प्रतिकूल स्थिति और चुनौतीपूर्ण समुद्री लहरों का सामना करते हुए पूरी तरह से पाल और पवन ऊर्जा की मदद ली गई।’
नौसेना ने कहा कि वह तारिणी के नाविका सागर परिक्रमा-द्वितीय के विजयी दल का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। प्रवक्ता ने कहा, ‘यह अभियान भारत के समुद्री प्रयासों का प्रतीक है, जो वैश्विक तौर पर समुद्री गतिविधियों में राष्ट्र की प्रमुखता और उत्कृष्टता के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और नारी शक्ति ‘साहसी दिल असीम समुद्र’ के आदर्श वाक्य को दर्शाता है।’
उभरते भारत के गौरवशाली ध्वजवाहक के रूप में, लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना ने फ्रेमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलटन (न्यूजीलैंड), पोर्ट स्टेनली (फॉकलैंड द्वीप) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) के बंदरगाहों पर रुककर अपनी आगे की जलयात्रा की। अधिकारियों ने कई कूटनीतिक और आउटरीच कार्यक्रमों में भाग लिया, दुनिया भर के विभिन्न सांसदों, भारतीय प्रवासियों, स्कूली बच्चों, नौसेना के कैडेटों और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ बातचीत की।
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