रायपुर कंज्यूमर फोरम के अध्यक्ष ने एसपी को लिखित शिकायत दी है कि डीबी स्टार का एक पत्रकार आशीष दुबे जो खुद को दैनिक भास्कर में कार्यरत बताता है, उसके द्वारा एक केस में फैसला अपने परिचित के हक में करवाने के लिए लगातार दबाव डाला जा रहा है। इस शिकायत का असर इतना विस्फोटक हुआ कि खुद प्रेस क्लब के एक पत्रकार को मामला दबाने के लिए तुगलकी फरमान जारी करना पड़ा।
फरमान में लिखा गया कि इस खबर को जो भी चैनल या अखबार लगायेगा, उस पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जायेगी। गोया प्रेस क्लब के अध्यक्ष ना होकर, सूचना मंत्रालय अथवा प्रेस काउन्सिल के अध्यक्ष हैं। बिल्कुल डिक्टेटर की भांति कार्य कर रहे हैं। रायपुर से निकलने वाले अखबार भी शायद इसी हैसियत के हों, जो प्रेस क्लब इतना मनबढ़ हो गया है। पुलिस को इसे भी अपने जॉच के दायरे में लेना चाहिए।
हालांकि मिली जानकारी के मुताबिक प्रेस क्लब अध्यक्ष ने ऐसे किसी फरमान से पल्ला झाड़ लिया है। खबर पढ़ने से ही लग रहा है कि किसी खास मकसद से लिखी गई है। पुलिस कप्तान को सम्पादक से पूछना चाहिए कि कन्ज्यूमर फोरम की बीट क्या दुबे के पास है, यदि है तो वह ब्लैकमेलिंग कैसे कर रहा है?
एक नवम्बर 2017 को डीबी स्टार में फोरम से सम्बंधित खबर छपी। वायरल हुये शिकायत पत्र में इस खबर का भी जिक्र है कि ऐसी निराधार खबरें दबाव डालने के लिए बनाई जा रही हैं। खबर उसी केस का हवाला देकर बनाई गई है। यह वही खबर है जिसके पक्ष में तथाकथित पत्रकार फैसला करवाना चाहते हैं।
यही नहीं अगर ध्यान दिया जाये तो बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देता है कि फोरम के अध्यक्ष को दबाव में लेने के लिए ही स्टोरी बनाई गयी है। बड़े अखबारों से जुड़े ज्यादातर स्टिंगर और बीट देखने वाले पत्रकार यही धन्धा अपनाये हुये हैं। ज्यादातर आरटीओ कार्यालय ऐसे पत्रकारों के अड्डे हैं, जहॉं से ये कमाई करते हैं और उसमें कुछ हिस्सा ब्यूरो प्रमुख को देते हैं, जो अपने सम्पादक को भी भेंट चढ़ाते हैं।
अब पत्रकारिता में बीट पुलिस थानों की तरह बिकती हैं। आप चौंकेंगे कि एक ट्रेनी पत्रकार जिसे आरटीओ की बीट दी गई मात्र दो साल में ही दो करोड़ की कोठी का मालिक बन गया, जबकि सेलरी के नाम पर उसे केवल सात हजार ही मिलते हैं। खबर का इनपुट भड़ास4मीडिया के एसोसिएट एडिटर,आशीष चौकसे पर आधारित है।
बहरहाल फोरम के अध्यक्ष की शिकायत पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
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