
क्या अब रूस और अमेरिका के बीच होगी जंग, तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर दो देश
वाशिंगटन – अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और रोमानिया जैसे देशों में रूस से सटी सीमा पर अपने 12 हजार सैनिक भेजे हैं। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह यू्क्रेन में तीसरा विश्व युद्ध नहीं लड़ने जा रहे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ छेड़े गए युद्ध में कभी विजयी नहीं होंगे।
बाइडन ने शुक्रवार को हाउस डेमोक्रेटिक कॉकस के सदस्यों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिका ‘यूक्रेन में तीसरा विश्व युद्ध नहीं लड़ने जा रहा है। लेकिन उन्होंने यह ‘कड़ा संदेश भी भेजा कि वाशिंगटन नाटो के दायरे में आने वाली हर इंच जमीन की रक्षा करेगा। उत्तर एटलांटिक संधि क्षेत्र (नाटो) 30 उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय देशों का एक सैन्य समूह है। नाटो के मुताबिक, उसका मकसद सैन्य और राजनीतिक माध्यम से अपने सदस्य देशों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चत करना है।
बाइडन ने कहा कि रूसी आक्रमण से निपटने में यूक्रेन के लोगों ने उल्लेखनीय बहादुरी और साहस का प्रदर्शन किया है। लेकिन अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा सहायता उनके बचाव में अहम रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, और जिस तरह हम यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। उसी तरह हम यूरोप में अपने सहयोगियों के साथ खड़े रहना जारी रखेंगे और एक स्पष्ट संदेश देंगे कि हम एक एकजुट और आक्रामक नाटो के साथ नाटो के दायरे में आने वाली हर एक इंच भूमि की रक्षा करेंगे।
बाइडन ने कहा, इसीलिए मैंने लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और रोमानिया सहित कुछ अन्य देशों में रूस से सटी सीमा पर 12 हजार अमेरिकी जवान भेजे हैं। अगर हम जवाबी कार्रवाई करते हैं। तो तीसरा विश्व युद्ध निश्चित है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, भले ही नाटो क्षेत्र की रक्षा का पवित्र दायित्व हम पर है। लेकिन हम यूक्रेन में तीसरा युद्ध नहीं लड़ेंगे।
रूस ने यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता देने के तीन दिन बाद 24 फरवरी को वहां विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था। बाइडन ने कहा, यह विचार कि हम यूक्रेन में विध्वंसक साजो-सामान भेजें और हमारे विमान, ट्रेन व टैंक वहां अमेरिकी सैनिकों और पायलट को पहुंचाएं। जरा समझिए… बेवकूफी मत कीजिए। आप सब चाहे जो भी कहें। यह तीसरा विश्व युद्ध कहलाता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के मुताबिक, उन्होंने यूरोपीय संघ, नाटो और एशिया में अपने सहयोगियों के साथ घंटों विचार-विमर्श किया है। उन्होंने कहा, नतीजतन, हम पुतिन पर आर्थिक दबाव बढ़ाने और रूस को वैश्विक मंच पर और अलग-थलग करने में सफल हुए हैं। बाइडन के अनुसार, जी-7 देशों (कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका) ने रूस से तरजीही राष्ट्र का दर्जा छीनने के लिए कदम उठाए हैं।
उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के नेतृत्व में लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से रूसी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। बाइडन ने कहा, “हमारी तरफ से लगाए गए आर्थिक और निर्यात प्रतिबंध रूसी अर्थव्यवस्था को कुचल रहे हैं। रूबल का आधा से ज्यादा अवमूल्यन हो चुका है। उन्होंने कहा, “मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज बंद है क्यों बंद है? क्योंकि यह जैसे ही खुलेगा, यह धराशायी हो जाएगी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने रूस की सरकार की रेटिंग बेहद गिरा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए लोकतांत्रिक देश एकजुट हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, हम हिम्मत दिखा रहे हैं और हम कभी डगमगाएंगे नहीं। पुतिन को यूक्रेन युद्ध में कभी जीत नसीब नहीं होगी। बाइडन ने कहा, “रूसी आक्रमण का एक एकीकृत मोर्चे के रूप में विरोध करने के लिए मैं दुनिया का आभार जताना चाहता हूं। जब पुतिन ने हमला किया। तो उन्हें लगा कि वह नाटो को विभाजित कर सकते हैं। उन्हें लगा कि वह अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं को बांट सकते हैं, लेकिन वह इसमें नाकाम रहे।