विविध
कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई काजोल-धनुष की ‘ VIP 2’
नई दिल्ली। इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ‘VIP 2‘ देखने तभी जाएं जब आप अभिनेता धनुष के बहुत बड़े फैन हों और उनकी कोई फिल्म नहीं छोड़ते हों। इसके अलावा यदि बॉलीवुड अभिनेत्री काजोल को दक्षिण भारतीय फिल्म में देखना चाहते हैं तो भी इसे देखने जा सकते हैं।
लेकिन कथानक और पटकथा के लिहाज से यह फिल्म निराश करती है। VIP 2 कहानी हालांकि धनुष ने लिखी है लेकिन इसमें कोई नयापन नहीं है। हिंदी में डब फिल्म में गाने जबरन ठूंसे गये लगते हैं। निर्देशक ने फिल्म में फ्रंट लाइन में बैठने वाले दर्शकों की चाहत देखते हुए चालू मसाला काफी डाला है ताकि सिनेमाघर सीटियों से गूंज सके।
VIP 2 फिल्म की कहानी वसुंधरा (काजोल) और रघुवरन (धनुष) के इर्दगिर्द घूमती है। वसुंधरा शहर की सबसे बड़ी आर्किटेक्ट कंपनी की मालकिन है। उसे ना सुनना पसंद नहीं है और कंपनी के कर्मचारियों के बीच उसका काफी खौफ है। दूसरी ओर रघुवरन एक दूसरी कंपनी में आर्किटेक्ट है। एक बार एक शो के बाद अवार्ड फंक्शन में वसुंधरा की कंपनी को सबसे ज्यादा अवार्ड मिलते हैं तो बेस्ट इंजिनियर ऑफ द ईयर का अवार्ड रघुवरन को मिलता है।
अब वसुंधरा रघुवरन को अपनी कंपनी से जोड़ने के लिए जुट जाती है लेकिन रघुवरन मना कर देता है क्योंकि वह जिस कंपनी में काम करता है उसके उस पर बहुत से एहसान हैं। लेकिन वसुंधरा ऐसे हालात बना देती है कि रघुवरन को वह कंपनी छोड़नी ही पड़ती हैl लेकिन वह वसुंधरा की कंपनी ज्वॉइन नहीं करके अपने कुछ दोस्तों के साथ अपनी कंपनी ‘वीआईपी कंस्ट्रक्शन्स’ शुरू करता है, लेकिन वसुंधरा अब भी हार मानने को तैयार नहीं है।
अभिनय के मामले में VIP 2 में धुनष कोई कमाल नहीं दिखा पाये। वह सामान्य ही रहे। काजोल को एक प्रमुख दक्षिण भारतीय फिल्म में काम करने का मौका मिला लेकिन यह देखकर निराशा हुई कि उनके चेहरे के भाव शुरू से लेकर अंत तक एक जैसे ही रहे। फिल्म के अन्य कलाकार सामान्य रहे।
गीत संगीत हिंदी भाषा में डब की गयी फिल्म VIP 2 में ठूंसा गया लगता है। फिल्म का निर्देशन रजनीकांत की बेटी और धनुष की पत्नी सौंदर्या ने किया है लेकिन वह दर्शकों को बांधे रख पाने में पूरी तरह विफल रही हैं।
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