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बडोदरा संग्रहालय को अनूठा बनाती है ‘‘मिस्र की ममी’’

बड़ोदरा। गुजरात में बडोदरा स्थित संग्रहालय देश का ऐसा अनूठा म्यूजियम है जहां करीब सवा सौ साल से ‘‘मिस्र की ममी’’ को सुरक्षित रखा गया है। इस ममी को बडोदरा के महाराजा सियाजीराव गायकवाड तृतीय ने खरीद कर इस संग्रहालय में रखा था। बडोदरा म्यूजियम एंड पिक्चर गैलरी के वरिष्ठ क्यूरेटर विजय पटेल ने कहा, ‘‘ यह देश के चुनिंदा संग्रहालयों में शामिल है जहां पर पिछले 123 वर्षो से मिस्र की ममी रखी गई है।

इस ममी को महाराजा सयाजीराव गायकवाड तृतीय ने 1895 में मार्शल नामक एक व्यक्ति से खरीदा था। ’’ उन्होंने बताया कि माना जाता है कि यह ममी राजकीय परिवार से संबंधित करीब 20 साल की एक लड़की की है।

इस ममी की लम्बाई 1.55 मीटर और ताबूत की लम्बाई 1.85 मीटर है। पटेल ने बताया कि देश में चार संग्रहालय ऐसे हैं जहां मिस्र की ममी रखी गई है। इनमें बडोदरा म्यूजियम एंड पिक्चर गैलरी के अलावा जयपुर स्थित गर्वनमेंट सेंट्रल म्यूजियम, हैदराबाद स्थित स्टेट म्यूजियम तथा कोलकाता स्थित इंडियम म्यूजियम शामिल है।

उन्होंने दावा किया कि बडोदरा म्यूजियम एंड पिक्चर गैलरी में रखी गई ममी की स्थिति सबसे बेहतर है। इसके लिये हमने संग्रहालय में कुछ विशेष व्यवस्थाएं की हैं। इसमें ममी वाले ताबूत को ‘एयर टाइट’ रखा गया है और इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि हवा कहीं से प्रवेश न करे, साथ ही ताबूत पर कीटनाशक दवा भी लगाई जाती है, ताकि कीड़ों के प्रभाव को रोका जा सके।

म्यूजियम में ममी के बगल में एक कागज चस्पा है जिस पर लिखा है कि मिस्र के प्राचीन लोगों का मानना था कि शरीर अमर रहता है और ऐसे में वे मृत लोगों का कभी नष्ट नहीं होने वाला शव तैयार करते थे । इस कार्य में वे एसफाल्ट तथा बालसम का लेप लगाते थे। इसके बाद वे शव को कपड़े में लपेट कर लकड़ी के ताबूत में रखते थे।

बडोदरा के म्यूजियम में विश्व की अनेक अजीबोगरीब चीजों का संग्रह है। इसमें एक अलग खंड अलग अलग क्षेत्रों से संबंधित पगड़ियों को समर्पित है। यहां पर ब्लू व्हेल का कंकाल भी रखा गया है। बड़ोदरा स्थित पुरातत्वविद सरविना पठान ने कहा कि पगड़ियों का यह संग्रह देश की सांस्कृतिक विविधता का परिचायक है इसके साथ ही ब्लू व्हेल के कंकाल का संरक्षण काफी सावधानीपूर्वक किया जाता है ताकि लम्बे समय तक इसे सहेज कर रखा जा सके। संग्रहालय में चित्रों की एक विशिष्ठ गैलरी है जहां चित्रकला के 10 स्कूलों से संबंधित चित्र रखे गए हैं। इसमें डच स्कूल, फ्रेंच स्कूल, विंची स्कूल आदि शामिल है।

युनान और यूरोपीय शैली की पेंटिंग भी यहां प्रदर्शित की गई है। विश्व प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा के चित्रों का संग्रह भी यहां उपलब्ध है। इस संग्रहालय में चीन, जापान, नेपाल और मिस्र की संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया गया है। यहां पर तिब्बत की संस्कृति को खास तौर पर प्रदर्शित किया गया है।

क्यूरेटर विजय पटेल का कहना है कि महाराजा सैयाजीराव गायकवाड का मानना था कि काफी संख्या में लोग दूसरे देशों में नहीं जा पाते हैं, ऐसे में उन्हें दूसरे देशों की संस्कृति और परंपराओं की जानकारी होनी चाहिए। बडोदरा स्थित इस संग्रहालय में नेचुरल हिस्ट्री के विभिन्न पहलुओं को पेश किया गया है जो छात्रों के लिये काफी लाभप्रद हैं। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों के संगीत एवं वाद्य यंत्रों को भी यहां प्रदर्शित किया गया है।

 

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