उत्तर प्रदेश

तीन साल बिना मान्यता होती रही एलएलबी की पढ़ाई, काम नहीं आई सफाई, बढ़ गईं मुश्किलें

लाठीचार्ज कांड से चर्चा में आया गदिया स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी अब कानून के लपेटे में आ गया है। मान्यता को लेकर चौंकाने वाली बात यह है कि यूनिवर्सिटी तीन साल से बिना मान्यता के एलएलबी की पढ़ाई करा रहा था और छात्रों का प्रदर्शन इसी बात को लेकर था। दूसरा विवाद यूनिवर्सिटी की ओर से कब्जाई गई जमीन को लेकर है, तहसीलदार न्यायालय ने 27 लाख से अधिक का जुर्माना लगाने के साथ ही तीस दिन का मौका दिया है वरना बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा।

बताते चलें कि लाठीचार्ज कांड के बाद श्रीराम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी के खिलाफ बिना मान्यता विधि (एलएलबी) पाठ्यक्रम संचालित करने के मामले में कोतवाली नगर में एफआईआर दर्ज हुई है। राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अपर सचिव डॉ. दिनेश कुमार की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय पिछले तीन वर्षों से बिना मान्यता विधि पाठ्यक्रम चला रहा है।

इसी मुद्दे पर एक सितंबर को छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। सामने आया कि विश्वविद्यालय को मान्यता न होने के बावजूद सत्र 2023-24 और 2024-25 में विधि पाठ्यक्रम में छात्रों का प्रवेश लिया गया तथा परीक्षाएं भी कराई गईं। वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए भी छात्रों का पंजीकरण किया जा रहा था। परिषद ने इसे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 एवं नियमावली 2021 का उल्लंघन करार दिया। इस संस्था के साथ एक अन्य विवाद जमीन कब्जाने को लेकर है।

आरोप है कि यूनिवर्सिटी निर्माण के दौरान अपनी सीमा से आगे बढ़कर नाली, चकमार्ग व बंजर जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इस संबंध में पूर्व में ही रिपोर्ट दर्ज है लेकिन लेखपाल की रिपोर्ट पर तहसीलदार न्यायालय ने 25 अगस्त को प्रबंधन को नोटिस जारी कर 27 लाख 96 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही 30 दिन का समय दिया। इस अवधि के भीतर कब्जा न हटा तो बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा। तहसीलदार नवाबगंज भूपेन्द्र विक्रम सिंह ने इसकी पुष्टि की।

ठंडे बस्ते में पड़ी एबीवीपी की तहरीर 

लाठीचार्ज कांड का एक अहम पहलू एबीवीपी की ओर से दी गई तहरीर भी है, जिस पर चौथे दिन तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बताते चलें कि घटना के दिन ही भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्य, पूर्व जिलाध्यक्ष संतोष सिंह की मौजूदगी में एबीवीपी पदाधिकारी की ओर से शहर कोतवाली में दी गई तहरीर में यूनिवर्सिटी की तरफ से बवाल करने वालों में शामिल चार नामों का जिक्र किया गया था, लेकिन तहरीर पर स्थिति जस की तस है। इस बारे में एबीवीपी के प्रांत मंत्री पुष्पेन्द्र बाजपेई ने किसी जानकारी से इंकार किया।

फिर कैसे जारी हो गया मान्यता पत्र 

शासन की जांच में तीन साल बिना मान्यता एलएलबी की पढ़ाई होती पाई गई और रिपोर्ट भी दर्ज है और एक दिन पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 2025-2026 के लिए पढ़ाई की अनुमति के लिए बीसीआई का पत्र मीडिया में जारी किया। अब सवाल यह उठता है कि जब तीन साल बिना मान्यता के लिए विधि की पढ़ाई हो रही थी तो एक ही शैक्षिक सत्र की अनुमति का पत्र यूनिवर्सिटी प्रशासन को कहां से हासिल हो गया। गौरतलब यह है कि एक शैक्षिक वर्ष की अनुमति मिल भी गई तो इससे पूर्व के दो शैक्षिक वर्ष के मान्यता पर सफाई यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब तक क्यों नहीं दी। इससे साफ है कि छात्रों के आरोप व विरोध प्रदर्शन गलत नहीं था।

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