ढाका। बांग्लादेश के विशेष न्यायाधिकरण ने पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया।
हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर भी आरोप लगाये गये थे, लेकिन बाद में अल-मामून सरकारी गवाह बन गये। मुकदमे की कार्यवाही 23 अक्टूबर को समाप्त हुई थी। व्यावसायिक जगत की हस्तियों ने बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता पर चिंता व्यक्त की है और उम्मीद जतायी है कि आगामी राष्ट्रीय चुनाव देश में स्थिरता लायेंगे।
नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा अवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से पार्टी नेता ऑनलाइन अभियान चलाते हुए अज्ञात स्थानों से सोशल मीडिया के माध्यम से निर्देश जारी कर रहे हैं। जुलाई 2024 में आर्थिक तंगी, भ्रष्टाचार और रोज़गार संकट से उपजे छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के कारण शेख हसीना की सरकार गिर गयी। पांच अगस्त को, वह भारत चली गयीं और श्री यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली। बाद में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गये।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार जांचकर्ताओं ने कहा है कि जब हसीना और उनकी सरकार ने सत्ता बनाये रखने के प्रयास में प्रदर्शनकारियों पर कथित तौर पर व्यवस्थित रूप से घातक बल का प्रयोग किया, जिसमें लगभग 1,400 लोग मारे गये।
पूर्व पीएम हसीना ने मुकदमे में शामिल होने के लिए भारत से लौटने से इनकार कर दिया है और उन्होंने इन आरोपों का ‘स्पष्ट रूप से’ खंडन किया है कि उन्होंने भागने से पहले के हफ्तों में सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया था।
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