मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक प्रतिशत की भारी कटौती करने का फैसला किया। इससे अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को कर्ज देने के लिए बैंकिंग प्रणाली में 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। सीआरआर में 29 नवंबर, 2025 को समाप्त होने अवधि में चार बराबर किस्तों में कटौती होगी और यह घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगी।
इसका मतलब यह है कि वाणिज्यिक बैंकों को नकदी के रूप में तीन प्रतिशत का निचला स्तर बनाए रखना होगा, क्योंकि आरबीआई उन्हें उधार देने के लिए अधिक धनराशि रखने की अनुमति देगा। द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकिंग प्रणाली को पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। टिकाऊ नकदी उपलब्ध कराने के लिए, वर्ष के दौरान चरणबद्ध तरीके से नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर शुद्ध मांग और समयबद्ध देयताओं (एनडीटीएल) के तीन प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया गया है।’
उन्होंने कहा कि यह कटौती 0.25 प्रतिशत की चार बराबर किस्तों में की जाएगी। यह छह सितंबर, चार अक्टूबर, एक नवंबर और 29 नवंबर, 2025 से शुरू होने वाले पखवाड़ों से प्रभावी होगी। मल्होत्रा ने कहा, ‘सीआरआर में कटौती से दिसंबर, 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की प्राथमिक नकदी उपलब्ध होगी। टिकाऊ नकदी प्रदान करने के अलावा इससे बैंकों की वित्तपोषण की लागत कम होगी, जिससे ऋण बाजार में मौद्रिक नीति संचरण में मदद मिलेगी।
उच्च ऋण प्रवाह से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जो वित्त वर्ष 2024-25 में चार साल के निचले स्तर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। आरबीआई ने पिछली बार दिसंबर, 2024 की एमपीसी घोषणा में सीआरआर को 0.5 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत कर दिया था।
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