धोखा-धड़ी
शातिर मॉंमा भान्जे अथवा उनका सरपरस्त Punjab Bank
सालाना आडिट काहे का होता है। यदि LOU रजिस्टर में दर्ज नहीं था तो क्या उन रकमों को कोई पूछने वाला नहीं है। एक छोटे से ड्राफ्ट का पेमेन्ट तो पार्टी को मिलता नहीं जबतक कि उसकी करफरमेशन नहीं हो जाती! फिर ये हजारों करोड़ की धन निकासी कैसे हो रही थी?
बैंक का प्रबन्धतंत्र झूंठ बोल रहा है। बैंक के एम0डी/चेयरमैन से लेकर नीचे के ब्रान्च हेड तक सबकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और इनकी सम्पत्ति से ये रकमें वसूली जानी चाहिए।
रही बात दूसरी बैंकों द्वारा दिये गये क्रेडिट की तो उसकी भरपाई पंजाब बैंक से ना कराकर उसके लिए उन बैंकों को जिम्मेदार मानते हुए ऐसी ही कार्रवाइ उन तथाकथित बैंकों के साथ भी किया जाना चाहिए।
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