अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन एक्शन नहीं ले सकता है RBI सीनियर ऑफिसर्स जिन्हें आरबीआई की ओर से दी गई रजामंदी के बारे में मालूम है उनका कहना है कि वह पुराने करेंसी नोट नेपाल या दूसरे देश में बदलने में असमर्थ था क्योंकि इससे जुड़ा कोई भी नियम नोटबंदी के समय सरकार ने नहीं बनाया था। अधिकारियों के मुताबिक इस मामले में सिर्फ सरकारें ही कोई फैसला ले सकती हैं।
जहॉंतक सरकार के फैसला लेने की बात है तो यह देशहित में कतई नहीं है, क्योंकि जब भारतीय नागरिकों के ही कई करोड़ रूपये फंस गये हैं और भारतीय रिजर्व बैंक ने जब 20,000-30,000 रूपयों को बदलने से मना कर दिया जो किसी कारणवश भारतीय लोगों के पास रखे रह गये थे, तो दूसरे देशों में रद्दी हो गई भारतीय मुद्रा को कैसे वापस कर सकता है?
इस बहाने से तो रिजर्व बैंक इसमें और भी खेल कर सकता है? कितने नोट किसके बदल देगा, कौन जान पायेगा? यह कदम सरकार के लिए आत्मघाती होगा और भाजपा सरकार को अभी 2019 का चुनाव लड़ना है। जिसमें उसपर निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने शुरू हो जायेंगेे। जिसकी भरपाई वह नोट बदलने की कीमत पर करना चाहे तो सरकार एक दबंग प्रधानमंत्री के हाथ में है, जो करना चाहें करें।
नेपाली PM Oli, सिर्फ फारस के शाह रहे डरायस के रोल में ही भारत आ रहे हैं। उनके साथ हमारे व्यापारिक रिश्ते हैं, अच्छी बात है लेकिन ये रिस्ते हमारे सरकार के रियाया की कीमत पर तो कतई नहीं निभाये जा सकते? conspiracy
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