पंचतंत्र
PanchTantra की कहानी-बेकार का पचड़ा-भाग-3
पंचतंत्र के बेकार का पचड़ा भाग-2 में आपने पढ़ा कि …………..
कल को यही मौका पडऩे पर इस भेद को खोल कर उसका अहित कर सकता है। अब उसने अपनी बात पर पर्दा डालने के लिए कहा, यार-जीना उसी का जीना है जिसके जीने से बहुतों को जिंदगी मिले। अपना पेट तो पक्षी भी अपनी चोंच से भर लेते हैं?
अब इससे आगे पढ़िए, भाग-3……..
करटक का चेहरा देखने पर दमनक (Damanak) को लगा इसका कुछ असर हुआ है। दमनक (Damanak) कुछ जोम में आ गया और इसी तर्ज पर कुछ और उपदेश पिलाने लगा। देखो, छोटी-मोटी नदियां और नाले-परनाले थोड़े से ही जल से उमड़ पड़ते हैं।
चूहे की अंजली भरते देर नहीं लगती है। ठीक यही हाल निकम्मे लोगों का है। जहां पैसे उनके हाथ में आये वे उसी से संतुष्ट होकर आगे हाथ-पांव मारना छोड़ देते हैं।
तुम भी उनसे अलग नहीं हो। पेट भरने से मतलब, जैसे भी भरे। मान से या अपमान से। अपने उत्साह में दमनक (Damanak), करटक की भर्त्सना के लिए सियारों की भाषा भूल कर देवभाषा बोल गया।
सुसंतुष्ट कापुरुष: स्वल्पकेनापि तुष्यति।
दमनक (Damanak) बोलता जा रहा था। अरे यार, जन्म तो उसी का सार्थक है जो अपना और अपने वंश का झंडा गाड़ दे। जिसके बूते का यह नहीं है उसका जीना ही नहीं, जन्म लेना भी बेकार है। उसने तो जन्म ले कर अपनी माता को ही बूढ़ी बनाया।
इस संसार में जीना मरना तो लगा ही रहता है पर जन्म लेना उसी का सार्थक है जो अपने बूते कमाए धन से दुनिया में नाम और यश कमाए।
करटक हां-ना किए बिना चुपचाप उसकी बात सुन रहा था। उससे यह कहते भी न बन रहा था कि तुम मुझे सूक्तियां सुना कर बोर न करो। वह सिर झुकाए बैैठा था। दमनक (Damanak) को लग रहा था कि बात उसके सिर के ऊपर से निकल जा रही है।
दमनक (Damanak) कुछ नरम पड़ कर बोला, देखो मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जो बड़े हैं, उन्हीं का जीवन सार्थक है। प्रश्न तो यह है कि तुमने अपनी सीमा को देखते हुए दूसरों के लिए क्या किया।
नदी के कगार पर खड़ा पेड़ जो धारा के कटाव से अपने को ही बचा नहीं पाता किस काम का है। उसकी तुलना में किनारे उगी हुई घास का जीवन भी धन्य है जो डूबते हुए आदमी के बढ़े हुए हाथ को सहारा तो दे देती है।
मित्र, अपना पेट तो सभी भर लेते हैं पर दुनिया का भला करने वाले सज्जन बहुत कम होते हैं। ऐसे लोगों का जीवन जेठ की तपन से झुलसते हुए संसार के संताप को हरने के लिए उमड़ पडऩे वाले मेघ के समान होता है। ………..इसके आगे भाग-4 में पढ़ियेगा….
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