
नेतन्याहू ने 40 सांसदों के सवालों का दिया एक जवाब, कहा- मोदी, ट्रंप और पुतिन – मेरे सबसे बड़े साथी…
यरुशलम। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को संसद में दिए एक तेज तर्रार भाषण में देश के प्रबंधन को लेकर अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा कि इस यहूदी राष्ट्र के खिलाफ बढ़ती यहूदी-विरोधी भावनाओं के बावजूद इजराइल को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत दुनिया के कई देशों एवं नेताओं का अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त है। नेतन्याहू ने संसद में तथाकथित ’40 हस्ताक्षर बहस’ के दौरान यह बात कही।
यह बहस ऐसा संसदीय तंत्र है जिसके तहत विपक्ष प्रधानमंत्री को महीने में एक बार इजराइली संसद ‘क्नेसेट’ के समक्ष उपस्थित होने के लिए बाध्य कर सकता है। इस दौरान नेतन्याहू ने अपनी सरकार की नीतियों, खासकर इजराइल के विदेश संबंधों का जोरदार तरीके से बचाव किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज इजराइल पहले से कहीं अधिक मजबूत है।
विपक्ष द्वारा लगाए गए इस आरोप का जवाब देते हुए कि ‘‘इजराइल की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा धूमिल हो चुकी है’’, नेतन्याहू ने तर्क दिया कि हमास के साथ दो वर्षों से युद्ध जारी होने के बावजूद इजराइल कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक स्तर पर अब भी मजबूत है। उन्होंने वैश्विक नेताओं के साथ अपने संबंधों को रेखांकित किया।
नेतन्याहू ने कहा, ‘‘दुनिया भर के अनेक देश और बहुत से विश्व नेता हमसे जुड़ना चाहते हैं।’’ हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ‘‘चुनौतियां भी हैं।’’ उन्होंने पश्चिमी देशों में बढ़ती ‘‘यहूदी-विरोधी भावनाओं’’ के लिए दो कारण बताए : लगभग हर देश में, खासकर यूरोप में पहुंचे कट्टरपंथी मुस्लिम अल्पसंख्यक और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही यहूदी-विरोधी उकसावे वाली सामग्री। उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया भर में इस यहूदी-विरोध का मुकाबला कर रहे हैं।
नेतन्याहू ने कहा कि इसके बावजूद इजराइल की कूटनीतिक स्थिति अब भी मजबूत है। उन्होंने इस सप्ताह जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज की यात्रा को इसका उदाहरण बताया और कहा कि यह यात्रा मर्ज की स्वयं की पहल पर हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘और भी कई महाशक्तियां हमारे साथ आ रही हैं: मैं अपने पुराने मित्र भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अक्सर बात करता हूं। हमने जल्द ही मिलने की योजना बनाई है और मुझे आपको बताना चाहिए कि डेढ़ अरब की आबादी वाला विशाल देश भारत हमारे साथ संबंध और मजबूत करना चाहता है।



