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Neta ji जनता के पैसों पर इतने ऊंचे ख्वाब क्यों देखते हैं?

मोदी जी ( Neta ji ) का बुलेट ट्रेन का सपना, सारे सपनों में सबसे उपर है। इसके बाद भी सपनों की एक लम्बी फेहरिस्त है, जिसमें स्वच्छता अभियान विशेष महत्व रखता है। अखिलेश यादव ( Neta ji ) का गोमती रिवर फ्रंट बनाने का सपना, आदि-आदि। मेरा कहना है कि कैसे जबरन वसूली के तौर पर इक्ठ्ठे किये गये कलैक्शन  (टैक्स) से अपने व्यक्तिगत ख्वाबों को पूरा करना जायज कहा जा सकता है। क्या ख्वाब सिर्फ जनता के पैसों को फिजूल में उड़ाने का ही स्वप्न दिखाते हैं?

एक चौराहा है, लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में। जिस पर उ0प्र0 की पूर्व मुख्यमंत्री ( Neta ji ) ने अपने ख्वाबों के महल की ताबीर की, और अपनी एवं हाथियों की मूर्तियां लगायीं। खजूर के बहुमूल्य पेड़ उगाये। करोड़ों रुपये से सरकारी धन का निर्माण कराया। लेकिन सारा कुछ उसी गरीब जनता का जिसे वह उसी के पैसों से बनाये गये महल में घुसने तक नहीं देतीं।

ख्वाब वो नहीं होते जो जबरन टैक्स के रूप में जनता से वसूले गये पैसों को हवा में उड़ाकर पूरे किये जायें। ख्वाब वो होते हैं, जो अपनी मेहनत की कमाई से पूरे किये जायें। वहॉं भी व्यक्ति यह ध्यान रखता है कि जितनी लम्बी चादर होती है, उतना ही पैर पसारता है। लेकिन यहॉं तो जनता के पैसों पर टेम्स नदी की तर्ज पर कोई गोमती रिवर फ्रन्ट बनवाना चाहता है, तो कोई बुलेट ट्रेन चलाने की दौड़ में छटपटा रहा है।
भारत जैसे महान और सबसे बड़े लोकतन्त्र में Neta ji आप किसके सपनों/ख्वाबों को पूरा करने में पांच साल निकालते हैं, केवल अपने सपनों को पूरा करने में। उस लोकतन्त्र के लोक का क्या, जो फटेहाल, नंगा, भूखा, बेरोजगारी में अपनी पूरी जिन्दगी गुजार रहा है। जिसके शरीर का एक-एक कतरा आप टैक्स के रूप में निचोड़कर उससे मौज मस्ती कर रहे हैं।
आखिर किस बिना पर आपके ( Neta ji  ) ख्वाब मुंगेरी लाल के हसीन सपनों जैसे होते हैंl और उस जनता को उसके मूलभूत अधिकारों और मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी तरसना पड़ता है? इन लोगों का इतिहास भी पुराने राजा-महाराजाओं के साथ नहीं जुड़ा है। फिर क्यों होते हैं, इनके सपने इतने स्वप्नलोक के? इतिहास में भरे पड़े इतने अ​नगिनत राजा-महाराजाओं में से किसी ने भी अपनी हैसियत से बढ़कर सपने नहीं देखे।
किसी ने ताजमहल भी बनाया तो उसकी कहानी ही अलग है। प्रचार भले ही किया गया कि मुमताज की याद में उसने ऐसा किया, लेकिन सत्यता यह है कि अपनी जनता को रोजगार मुहैय्या कराने के लिए पूर्व के राजा-महाराजा किलों (फोर्ट्स) आदि का निर्माण कराया करते थे। जिससे उसकी रियाया को रोजगार मिल सके और उसका परिवार मजे से रहे। वो भूखा ना मरे। उस समय ना तो अडानी अथवा अम्बानी थे ना ही टाटा अथवा बिरला,विप्रो, अथवा सरकारी कार्पोरेशन। जो हजार लोगों को नौकरी देने का वादा करके ही सैकड़ों हेक्टेयर जनता की जमीनें कौडियों के दाम सरकार से जबरन एक्वायर करा लेते।

बहन जी (Neta) के बाद इटावा के तथाकथित राजकुमार (Neta)

आने से पहले ही बहन जी द्वारा उनके चौतरफा निर्माण की जांच का जबरदस्त ढ़िढोरा पीटा और जनता से वादा किया कि यदि वे सत्ता में आये तो इन सब की जॉंच करायेंगे। झूठे वादों पर मैजारिटी की सरकार बन गयी। बहन जी द्वारा बनवाई गई एक ईमारत में महिलाओं की प्रभावशाली योजना 1090 का शुभारंभ भी किया गया। जनता की सेहत के लिए दूध, दही के वास्ते पराग का काउन्टर खुलवा दिया, लेकिन निर्माण कार्य पर हुई अनियममिताओं की जाँच पांच साल का पूरा कार्यकाल बीत जाने के बाद भी ख्वाब बनकर रह गई।
वहीं करोड़ों रुपये से बनी इमारतों, स्मारकों और पार्कों को समाजवादी की उपेक्षा भी झेलनी पड़ी, जिसका खामियाजा बेचारे हरे-भरे पेड़ पौधों को भी झेलना पड़ा। जनता के करोड़ों रुपये से जिस सड़क के चारों दिशाओं में हरियाली लाने की बात बहुजन समाज ने कही उसे समाजवाद ने मिटा दिया। लेकिन समाजवाद के युवराज ने इसी सड़क को लंदन की तर्ज पर निखारने का ख्वाब देखा। और जनता के पैसों से लखनऊ नगर के गोमती तट पर लंदनिया पार्क बनाने का सिलसिला शुरू किया। ज्यों-ज्यों जरूरत बढ़ती गई, वैसे-वैसे इन हसीन सपनों का बजट बढ़ता गया। बजट बढ़ता गया, न जेब से जाना था और न ही पार्टी फण्ड से, इसलिए काम में सुस्ती का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

समाजवादी युवराज अखिलेश यादव ( Neta ji ) के ख्वाब परवान चढ़ने लगे। लखनऊ को लंदन जैसा रूप देने का ख्वाब पूरा होते देख समाजवादी खुश थे। लेकिन नियति को तो हिसाब बराबर करना ही था। जो बहुजन की हरियाली समाजवादी ने उपेक्षित की थी, उस प्रकृति को अपना हिसाब चुकाना था।

समाजवादी पार्टी की हार से गोमती फ्रंट को तराशने का काम भी हार गया और भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनायी। योगी आदित्यनाथ ने समस्त औपचारिक्ताएं पूरी कर मुख्यमंत्री की शपथ ली।
समाजवाद ने बहुजन समाज के निर्माण पर जांच की बात कही तो भाजपा ने समाजवादी के निर्माण की जाँच की बात उठाई। मुख्यमंत्री की मंशा भाँपते ही उनके नए-नए मंत्रियो में भी एक होड़ लग गयी। कोई गोमती नगर में निर्माणगत भवन के हैलीपैड पर चढ़ गया, तो कोई पुराने लखनऊ की खडखड़ी ईटें उखाड़ने लगा। और अपनी-अपनी तस्वीरों के साथ समाजवाद के निर्माण कार्य के भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ने की बात करने लगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी आनन-फानन में गोमती नगर रिवर फ्रंट पर हो रहे कार्य को रुकवा दिया। एक जाँच रिपोर्ट आई तो दूसरी जांच एजेंसी को काम थमा दिया। निर्माण में धांधली हुई तो जाँच आवश्यक है।
हमारे प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का ( Neta ji ) स्वप्न स्वच्छ भारत कैसे पूरा होगा ! जिस उत्तर प्रदेश की राजधानी जहाँ योगी जी रहते हैं, उस गोमती रिवर फ्रंट की बदहाली और सड़क पर बिखरी गन्दगी क्या बयां करती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ये तस्वीर आज 3 अक्टूबर 2017 सुबह छह बजे की हैं।

ख्वाब सिर्फ ख्वाब ही बनकर रह जायेंगे अथवा उसे पूरा करने के लिए अखिलेश जी अपनी प्राइवेट मनी का इस्तेमाल करेंगे। ऐसा कोई ( Neta ji ) नहीं करता। वो तो पैदा ​ही इसलिए हुआ ​​है कि जनता के पैसों से अपना खजाना भरे, नाकि अपने खजाने में से जनता के लिए कुछ करे।
कुछ तुम करो, कुछ हम करें, सिर्फ राजनीति नही देशहित में भी प्रयास करें।

 

पत्रकार मोहम्मद कामरान की फेसबुक वाॅल से…

पोस्ट साइबर टीम द्वारा सम्पादित कर दी गई है।

 

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