पिछले साल अगस्त से उत्तरी रखाइन से रोहिंग्या आबादी लगभग खाली हो गई है। सैन्य कार्रवाई के कारण रोहिंग्या मुसलमान Myanmar छोड़कर बांग्लादेश जाने पर मजबूर हो गए हैं। Myanmar के सशस्त्र बलों के ऊपर ना केवल रोहिंग्या मुसलमानों के घरों को जलाने का आरोप है, बल्कि नरसंहार, रेप और लूटपाट मचाने का भी आरोप है। और ये कोई बड़ी बात नहीं है। अक्सर ऐसा होते देखा गया है।
संयुक्त राष्ट्र ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक जातीय सफाई अभियान चलाने का आरोप लगाया है, जो कि मुख्य रूप से बौद्ध राष्ट्र में तीव्र भेदभाव का सामना कर रहे हैं। म्यांमार ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं को उस क्षेत्र की जांच करने से रोक दिया गया जहां हजारों रोहिंग्या मारे गए हैं। सरकार का कहना है कि रखाइन स्टेट में आतंकवादी समूहों को जवाब देने के लिए हमले किए जा रहे हैं।
रखाइन स्टेट के उत्तरी इलाकों गावों की पहली तस्वीरें 9 फरवरी को सामने आई थीं। उस वक्त Myanmar में यूरोपीय संघ के राजदूत क्रिस्टियन श्मिट ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। तस्वीरों के माध्यम से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर से लेकर फरवरी के बीच करीब 28 गांवों को बुलडोजर की मदद से समतल कर दिया गया है।
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