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MP में स्वाइन फ्लू ने तीन महीने में ली 111 लोगों की जान

MP (मध्यप्रदेश) में पिछले तीन महीने में स्वाइन फ्लू से 111 लोगों की मौत हुई है। MP (मध्यप्रदेश) के स्वास्थ्य संचालक डॉ. के एल साहू ने बताया, ‘‘एक जुलाई से लेकर दो अक्तूबर तक प्रदेश में स्वाइन फ्लू से 111 लोगों की मौत हो चुकी है और प्रदेश में एक जुलाई से लेकर अब तक 647 लोगों में एच1एन1 की पुष्टि हुई है।’’ उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू से प्रदेश के कुल 51 जिलों में से 44 जिले प्रभावित हैं। साहू ने कहा कि गुजरात एवं महाराष्ट्र सहित अन्य कुछ राज्यों में भी यह बीमारी फैली हुई है।
MP (मध्यप्रदेश) सरकार इसकी रोकथाम एवं उचित उपचार उपलब्ध कराने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। साहू ने बताया कि वर्तमान में स्वाइन फ्लू के 83 मरीज प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं, जिनमें से 47 मरीज सरकारी अस्पतालों में और 36 मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हैं। 111 मरीजों की इससे मौत हो चुकी है लेकिन बाकी सभी मरीज अब स्वस्थ हो गये हैं। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में स्वाइन फ्लू की जांच की प्रयोगशाला जबलपुर, ग्वालियर और एम्स भोपाल में है।’

प्रदेश के विभिन्न जिलों से मिली जानकारी के अनुसार स्वाइन फ्लू से प्रदेश में सबसे ज्यादा 20 मौतें इंदौर जिले में हुई हैं। इसके बाद, भोपाल जिले में 10 लोगों की जान इस बीमारी ने ली है। स्वच्छ भारत अभियान में हाल ही में इंदौर को देश का नंबर एक स्थान मिला है, जबकि भोपाल को दूसरा। उन्होंने कहा कि वहीं, जबलपुर जिले में आठ, दमोह एवं सीहोर में सात-सात, सागर में छह, उज्जैन, होशंगाबाद, बैतूल एवं रतलाम में पांच-पांच, रायसेन में चार, बालाघाट में तीन, मुरैना, शहडोल एवं सिवनी में दो-दो और झाबुआ, मंदसौर, शिवपुरी एवं सतना सहित 20 जिलों में एक-एक प्रभावित व्यक्ति की मौत हुई है।

उन्होंने बताया कि भोपाल जिले में स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा 118 मरीज पाये गये हैं, जबकि जबलपुर में 83, इंदौर में 53, उज्जैन एवं सागर में 30-30, मंदसौर एवं बैतूल में 25-25, सीहोर में 20, दमोह में 18, हौशंगावाद में 17, देवास में 13, सतना में 11, रतलाम में नौ, मुरैना एवं रायसेन में आठ-आठ, खरगौन एवं शहडोल में सात-सात तथा सिवनी एवं बालाघाट जिलों के पांच-पांच मरीज सामने आये हैं।
वहीं, स्वाइन फ्लू के 155 अन्य पॉजिटिव मरीज 25 अन्य जिलों में आये हैं। अधिकारियों ने बताया कि उनके जिलों में स्थित जिला अस्पतालों में इस बीमारी के उपचार हेतु टैमीफ्लू दवाई पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसके साथ स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए जिला अस्पतालों में विशेष आइसोलेशन वार्ड भी बनाये गये हैं और जरूरत के मुताबिक इसमें बढोत्तरी की जा सकती है। स्वाइन फ्लू जागरूकता अभियान चलाने वाले वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डाक्टर लोकेन्द्र दवे ने बताया, ‘स्वाइन फ्लू के वायरस से घबराने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि समय पर इसका उपचार करें।
समय पर उपचार करने से मरीज इस बीमारी से ठीक हो जाता है।’ उन्होंने बताया कि एच1एन1 एन्फ्लुएंजा न्यूमोनिया का ही एक प्रकार है। जिस प्रकार अन्य प्रकार के वायरल इंफेक्शन या न्यूमोनिया का इलाज किया जाना आवश्यक है। उसी प्रकार एच1एन1 का भी लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है एवं वर्तमान में इसकी जांच एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध है। आवश्यकता है कि मरीज सही समय पर योग्य चिकित्सक से उपचार प्राप्त करे।
गुजरात, महाराष्ट्र एवं आंध्रप्रदेश में स्वाइन फ्लू के मरीजों के मरने वालों का मध्यप्रदेश से कम होने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मरीज बहुत देरी से इलाज के लिए अस्पताल में आते हैं। देरी से उपचार करवाने पर स्वाइन फ्लू के मरीजों की मौत होती है लेकिन यदि समय पर उपचार करवा लिया जाए तो मरीज ठीक हो जाते हैं।’

दवे ने बताया, ‘अमूमन स्वाइन फ्लू के 200 मरीजों में से केवल एक की ही मौत होती है।’ इस बीच, मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, जनपद पंचायत, आशा एवं ऊषा कार्यकर्ताओं को इस बीमारी के प्रकोप से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाने को कहा है।

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