विविध
ट्रैफिक लोड को कम नहीं कर पायेगा, लखनऊ मेट्रो
Will Lucknow Metro reduce the traffic of Lucknow?
लखनऊ। जिस लखनऊ मेट्रो (Lucknow Metro) को लखनऊ जनपद की पचास लाख जनता के लिए खुशखबरी की बात बताया जा रहा है, वो चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत को ही चरितार्थ करेगा.
लखनऊ मेट्रो रेलवे कार्पोरेशन (एल०एम०आर०सी०) ने एक प्राइवेट एजेन्सी इन्फ्रा प्रा० लि० से सर्वे कराया है. सर्वे में आटो, बस, निजी टैक्सी का किराया और उसकी समयसारिणी से सम्बन्धित रिर्पोट किये जाने की बात है. जबकि इन्फ्रा प्रा० लि० के नाम की कोई कम्पनी एम०सी०ए वेबसाइट पर शो नहीं हो रहीं है। इसमें कौन-कौन डायरेक्टर हैं, अथवा इस तरह का सर्वे करने का उसके पास कितना अनुभव है. सर्वे करते समय उसने किन-किन अथारिटी को इनवाल्व किया, समय की बचत को ही ध्यान में रखकर निष्कर्ष निकालना, ट्रैफिक लोड में किसी भी प्रकार की कमी नहीं ला पायेगा.
ट्रैफिक लोड़, जिससे जगह-जगह जाम लगता है, जनता को परेशानी होती है, गनतव्य तक पहुंचने वालों की परेशानी के साथ Fuel का national wastage भी होता है.
लखनऊ में मेट्रो के चलन को मंजूरी सम्भवत: इन्हीं तथ्यों को मद्देनजर रखकर ही दी गई थी, लेकिन अब लगता है कि एलo एमoआरoसीो का मुख्य रूप से ध्यान लाभ कमाने की ओर ही गया है. क्योंकि चारबाग से ट्रान्सपोर्ट नगर तक का तीस रूपया किराया बहुत ज्यादा है. एलoएमoआरoसीo को मुनाफे से पहले ट्रैफिक लोड को अपनी ओर डायवर्ट करने, जगह-जगह लगने वाले जाम को कम करने और लोग अपने प्राइवेट व्हीकल को छोड़कर मेट्रो के प्रति आकर्षित हों, के लिए किराया इतना रखना चाहिए कि व्यक्ति मजबूर होकर प्राइवेट व्हीकल को पार्किंग में लगाकर मेट्रो से सफर करे. जैसा कि दिल्ली मुम्बई और कलकत्ता में है.
इसे लखनऊ जू की टॉय ट्रेन ना समझा जाये कि कोई तीन किलोमीटर के सफर के मुहं मांगे पैसे दे देगा। एक-दो बार शौकिया तौर पर लखनऊ मैट्रो का इस्तेमाल करना और रोज़ाना की प्रैक्टिस में इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने में काफी फर्क है.
जिस प्रकार से एलoएमoआरoसीo ने कराये गये सर्वे के आधार पर शासन को किराये की सूची सौंपी और उसपर निर्णय हुआ है, उसे तुरन्त ही संशोधित किये जाने की आवश्यकता है. हम लोग Socialistic Welfare State में रहतें हैं, इसलिए शासन को कल्याणकारी भाव से निर्णय लेने चाहिए.
चारबाग से दुर्गापुरी का किराया 10 रुपये बहुत ही अधिक है, उसे चारबाग से आलमबाग तक 10 रुपये होना चाहिए था, भले ही न्यूनतम किराये के रूप में उसे 10 रुपये रखा जाता। चारबाग से कृष्णानगर तक 15 रुपये और चारबाग से ट्रान्सपोर्ट नगर तक उसे 20 रूपये से अधिक किसी भी हाल में नहीं होना चाहिए था.
चूंकि प्राइवेट ऐजेन्सी ने सर्वे में समय की सबसे ज्यादा बरबादी पाई और उसी को आधार बनाते हुए रिर्पोट प्रस्तुत कर दी। अरे भई समय की कमी इलीट क्लास को है, जिसके पास औडी, मर्सिडीज, हॉण्डा, टोयोटा, जैसी गाडिय़ा हैं, जिनके पास पैसों की कमी है, उनके पास समय-ही-समय है. वो क्लास दस रुपये बचाने के लिए दो घण्टे का इंतजार कर सकता है, इसलिए आधार इस क्लास को बनाना चाहिये था जिससे की सड़क पर लोड कम होता, और औडी एवं मर्सिडीज वाले आराम से सड़क पर दौड़ सकते.
एलoएमoआरoसीo के प्रबन्धक निदेशक कृपया प्राइवेट कम्पनी द्वारा प्रस्तुत सर्वे रिपोर्ट की एक प्रति [email protected] पर ईमेल करना चाहें, जिससे ज्ञात हो सके कि उक्त सर्वे के salient Points क्या रखे गये। ध्यान रहे कि यह मासलेवल जनहित का मामला है.
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