धार्मिक

जानिए क्या है रात में मंदिर के कपाट बंद होने के पीछे का कारण

हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों में कई ऐसी बातें लिखी हुई हैं, जिनका हमारे जीवन से किसी न किसी प्रकार से जुड़ाव होता है। शास्त्रों में ऐसे ही कुछ नियम मंदिर से जुड़े बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसलिए हमेशा मंदिर में स्नान आदि कर स्वच्छ होकर जाना चाहिए, मंदिर में प्रवेश करने के दौरान सीढ़ियों के स्पर्श करें, संध्या और शयन आरती करें और नियमों का पालन करें। इसके बाद शयन आरती के पश्चात मंदिर के कपाटों कों बंद कर देना चाहिए।

मंदिर से जुड़े कई ऐसे नियम हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति के साथ ही समृद्धि भी मिलती है। लेकिन इन नियमों को लेकर हमारे मन में कई तरह के सवाल आते हैं। ऐसा ही एक सवाल यह भी है कि आखिर रात में मंदिर के कपाट क्यों बंद किए जाते हैं। अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल आता है तो यह आर्टिकल आपके लिए है। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर रात में मंदिर के कपाट क्यों बंद किए जाते हैं।

रात में क्यों बंद किए जाते हैं मंदिर के कपाट
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रतीक के तौर पर रात में मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं। बता दें कि यह विभिन्न धर्मों के मंदिर से काफी अलग हैं। अगर हम इसके मुख्य कारण की बात करें तो कई तरह की बातें सामने आती हैं। आइए जानते हैं इन कारणों के बारे में…

सुरक्षा और संरक्षण का प्रतीक
रात के समय मंदिर के कपाट बंद करने के पीछे का कारण है कि मंदिर में स्थापित मूर्तियां बेहद मूल्यवान धातुओं से बनी होती हैं। ऐसे में अगर मंदिर के कपाट बंद न किए जाएं तो इन मूर्तियों के चोरी होने का खतरा होता है। क्योंकि मंदिर में स्थापित मूर्तियों के साथ ही चढ़ावे की धनराशि भी रखी होती है। यह धन जन कल्याण और मंदिर के विकास के लिए संजोकर रखी जाती है। ऐसे में जब रात में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, तो सुरक्षा की एक और परत जुड़ जाती है। कपाट बंद होने से मंदिर में अनअपेक्षित प्रवेश को भी रोका जा सकता है। इससे मंदिर में पवित्र और मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षा भी होती है।

देवताओं के सम्मान का तरीका
अगर रात के समय मंदिर के कपाट को बंद करने को धार्मिक तरीके से जोड़कर देखें तो मंदिर में मूर्तियों को स्थापित करने से पहले उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। जिसके बाद से मंदिर में देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। इसलिए रात में कपाट बंद करना, ईश्वर के सम्मान व देवताओं के आराम से जोड़ा जाता है। मान्यता के अनुसार, रात में देवी-देवता विश्राम करते हैं। इसलिए उनके विश्राम के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। वहीं सुबह कपाट खोलकर फिर से पूजा-पाठ शुरू हो जाता है।

साफ-सफाई के लिए बंद होते हैं मंदिर के कपाट
बता दें कि रोजाना पूजा -पाठ और अनुष्ठान को दैनिक प्रथाओं का एक जरूरी हिस्सा माना जाता है। ऐसे में रात में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तो पुजारी को मंदिर में स्थापित मूर्तियों की साफ-सफाई का मौका मिल जाता है। ऐसे में अगले दिन की पूजा-पाठ के लिए मंदिर तैयार किया जा सकता है। साथ ही साफ-सफाई में कोई बाधा नहीं आती है।

आध्यात्मिक ऊर्जा का संरक्षण
मान्यता के अनुसार, प्रतिदिन पूजा-पाठ होने से मंदिर में आध्यात्मिक ऊर्जा समाहित होती है। इसलिए रात के समय मंदिर के कपाट बंद कर इस ऊर्जा को मंदिर परिसर में ही समाहित किए जाने का प्रयास किया जाता है। क्योंकि रात के समय यह ऊर्जा कई गुना तक बढ़ जाती है। वहीं जब भक्त सुबह पूजा के लिए मंदिर में आते हैं तो उन्हें दर्शन का पूरा लाभ मिलता है। इसीलिए कहा जाता है कि मंदिर में सुबह जल्दी दर्शन करना शुभ माना जाता है।

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