
एचएस पनाग बोले- साथ नहीं दे सकते तो बेटियों पर बंदिशें भी न थोपें
बेटियों को बंदिशों में न बांधें, उन पर अपनी तरफ से बातें न थोपें। बेटियां स्वतंत्र व्यक्तित्व की धनी होती हैं। आप उनकी मदद कर सकें तो करें, नहीं तो अलग हो जाएं और उनको अपने हिसाब से काम करने दें।
वो खुद अपना मुकाम हासिल कर सकती हैं। मुझे फक्र है कि मेरी बेटी गुल पनाग मेरी उम्मीदों पर खरा उतरी है। उसने जो भी लक्ष्य रखा है, उसे पाया है। और यह सिलसिला अभी रुका नहीं है, लगातार जारी है। आपकी बेटियां भी वो सब कर सकती हैं, जरूरत है प्लान करने की, लक्ष्य तय करने की और कड़ी इच्छाशक्ति के साथ मेहनत करने की। यकीन मंजिल उनके कदम चूमेगी।
यह कहना है कि रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग का। चंडीगढ़ में हुए पंजाब कार्यक्रम में पहुंचे लेफ्टिनेंट जनरल पनाग और पूर्व मिस इंडिया व अभिनेत्री गुल पनाग ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए। साथ ही अभिभावकों को बेटियों को खुलकर अपनी जिंदगी जीने देने के लिए प्रोत्साहित किया। लेफ्टिनेंट जनरल पनाग ने कहा कि जिंदगी में सफलता के लिए कुछ चीजों का ध्यान जरूरी है। इसके लिए छह चीजों पर ध्यान जरूरी है। सबसे पहले फोकस, अपने लक्ष्य पर लगातार फोकस करते रहना चाहिए।
दूसरा, इंटेलेट, मलतब लगातार पढ़ना होगा। जिंदगी में नई चीजें सीखनी होंगी। तीसरा, फीटनेस रखनी होगी और लगातार इसे बरकरार रखना होगा। फिर आता है चरित्र (करेक्टर), जिस भी फील्ड में अपना करेक्टर बरकरार रखें। इसके बाद आता है कम्युनिकेशन। बातचीत बहुत जरूरी है, बात में से ही बात निकलती है।
सेना कितनी भी आधुनिक हो जाए लेकिन आर्डर लेने और देने वाले आमने-सामने यह करते हैं। इससे दोनों के कांफिडेंस का पता चलता है और दोनों एक-दूसरे को बेहतरी से समझते हैं। इसके अलावा पहल जरूरी है। जब तक पहल नहीं करेंगे, मंजिल नहीं मिल सकती। इंतजार नहीं करना है कि कोई चीज खुद चलकर आप तक आएगी।
आगे क्या करना है खुद तय करें
खुद का अनुभव साझा करते हुए एचएस पनाग ने कहा कि साल 1999 में बेटी पनाग मिस इंडिया बनी। उस समय मैं कारगिल की लड़ाई के बाद बिग्रेड कमांडर था। मैंने बेटी को पत्र लिख कर कहा था कि आपने पैराशूट इंट्री कर ली है, अब आगे क्या करना है, यह आपको तय करना है, क्योंकि कोई भी पेरेंटस चाहकर भी अपने बच्चों की जिंदगी नहीं बना सकता है। खुद ये तय करना है कि आखिर जिंदगी में करना क्या है।
रोल मॉडल बनें पैरेंट्स
किसी भी माता-पिता के लिए यह फख्र की बात है कि उनके बच्चे अचीवर हैं। मुझे जब कहते हैं कि मैं गुल पनाग का पिता हूं तो मुझे गर्व होता है। रोल मॉडल असल में फेल-सेफ फिलोसॉफी है। सबकी नजरें रोल मॉडल पर होती हैं। अगर आप रोल मॉडल हैं तो नेतृत्व और लोगों को प्रेरित करने की आधी जंग जीत ली जाती है। कोई भी परफेक्ट नहीं होता लेकिन अपने बच्चे के लिए मेरी कोशिश रही है कि मैं रोल मॉडल बन सकूं।
सेना में नेतृत्व का परिवेश मिलता है। नेतृत्व की खूबियां सिखाई जाती हैं। वो सारी बातें आम आदमी और बच्चों के लिए भी लागू होती हैं। जब मैं देखता था कि इनका अनुशासन बिगड़ रहा है तो मैं सोचता था कि इस बात को कैसे बिना ठेस पहुंचाए ठीक किया जाए। जैसे अगर बच्चा शेखी मार रहा हो तो आप उससे कहें कि आप इस दिशा में जाएं, ऐसा कीजिए।
यूं बनी गुल पनाग मिस इंडिया
एचएस पनाग ने बेटी गुल पनाग के मिस इंडिया बनने का वाक्या भी साझा किया। उन्होंने कहा कि हम मिस इंडिया का 1998 में फाइनल देख रहे थे। तब गुल पनाग ने कहा कि ये तो मैं भी कर सकती हूं। तब मैंने कहा कि उठाओ कागज-पेंसिल। सबसे पहले प्लान बनाओ। हमें तब मॉडल या ग्लैमर इंडस्ट्री का कोई आइडिया नहीं था। हमने सोचा कि एक साल का समय है, क्या-क्या कर सकते हैं। हमने कहा कि आप अपना आत्मविश्वास बरकरार रखें। मैं आपकी फिजिकल फिटनेस और बुद्धिमत्ता पर काम करूंगा।
मेरी पत्नी ने कहा कि वे ऐसा परिवेश देने की कोशिश करेंगी कि सब खुश रहें। मैंने इनसे एक लाइन कही जो इन्होंने फाइनलिस्ट के तौर पर बाद में कही- मैं आशावादी हूं। मेरे लिए हर दिन नई चुनौती है। कुछ नया करना, कुछ नई मंजिलों पर पहुंचना है। मैंने कहा कि आपको जीतना है। आपका मुकाबला आपसे ही है। 1999 में ये मिस इंडिया बन गईं। जितने नेतृत्व के सिद्धांत मैंने सेना में सीखे, उसे परिवार में लेकर आए। इसके अलावा, फौज की वजह से गुल को सब सीखने को मिला। घुड़सवारी, तैराकी, पढ़ाई में यह अच्छी थी। यह आर्मी ब्रैट थी। इन्हें इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। यह मुकम्मल युवा थी।