धार्मिक

Ganesh Chaturthi 2021 – दुख हरने आ रहे हैं गणपति बप्पा, मनोकामना के हिसाब से करें इन मंत्रों का जाप

10 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। ये उत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है। मान्यता है कि इसी चतुर्थी के दिन दोपहर के दिन सुखकर्ता और दुखहर्ता गणपति का जन्म हुआ था। हर साल चतुर्थी के दिन गणेश भगवान को उनके भक्त धूमधाम से अपने घर लाते है। और उनकी स्थापना करते है। अपनी श्रद्धानुसार लोग उन्हें 5, 7, 9 दिनों तक बैठाते है। इसके बाद गणपति का विसर्जन कर दिया जाता है।

जब तक गणपति घर में रहते है। तब तक उनकी खूब सेवा की जाती है। भगवान के भक्त उन्हें पसंदीदा भोग अर्पित करते है। सुबह और शाम को उनका पूजन किया जाता है। भजन कीर्तन किया जाता है। मान्यता है कि गणपति को बैठाने और श्रद्धानुसार उनका पूजन आदि करने से वे घर के सारे दुख और विघ्न दूर कर देते है। यदि आप भी इस बार गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को घर में बैठाने की तैयारी कर रहे है। तो मनोकामना के हिसाब से चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस तक यहां बताए जा रहे मंत्रों का जाप करना न भूलें।

1. लंबी आयु की कामना के लिए
नारद उवाच, प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्,

भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थ सिद्धये.

2. विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश,

ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, मेरे दूर करो क्लेश.

3. धन प्राप्ति के लिए
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा

4. हर तरह के विघ्न को दूर करने के लिए
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः,

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः,

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः,

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌,

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌.

5. घर में सुख शांति लाने के लिए
ॐ ग्लौं गं गणपतये नम:

6. पारिवारिक क्लेश दूर करने के लिए
– ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात.

– गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: .

7. धन, विद्या और संतान सुख की कामना के लिए
विद्यार्थी लभते विद्यां, धनार्थी लभते धनम्,

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्-मोक्षार्थी लभते गतिम्.

9. तेजस्वी संतान प्राप्ति के लिए ये स्तोत्र पढ़ें
ॐ नमोस्तु गणनाथाय, सिद्धिबुद्धि युताय च,

सर्व प्रदाय देहाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च,

गुरुदराय गरबे गोपुत्रे गुह्यासिताय ते,

गोप्याय गोपिता शेष, भुवनाय चिदात्मने,

विश्व मूलाय भव्याय, विश्व सृष्टि कराय ते,

नमो नमस्ते सत्याय, सत्यपूर्णाय शुंडिने,

एकदं‍ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:,

प्रपन्न जन पालाय, प्रणतार्ति विनाशिने,

शरणंभव देवेश संततिं सुदृढ़ां कुरु,

भविष्यंति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक:,

ते सर्वे तव पूजार्थं नि‍रता: स्युर्वरोमत:,

प‍ुत्र प्रदं इदंस्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम.

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