
सेवा को सौदेबाजी बनाने वालों पर सीधा प्रहार… भागवत और योगी ने विश्वभर को दिया सामाजिक और राजनीतिक संदेश
दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव मंच भले ही आध्यात्मिक था, लेकिन उसका संदेश पूर्णतः सामाजिक और राजनीतिक रहा। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने समाज को एकता की सीख दी, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेवाकार्य को बेचने वाले छद्म संगठनों और उनके राजनीतिक आश्रयों को सीधा संदेश दिया। साफ था कि भारत की आत्मा के साथ सौदा अब स्वीकार नहीं।
जनेश्वर मिश्र पार्क में दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव का मंच रविवार को केवल आध्यात्मिक विमर्श का नहीं रहा, बल्कि उस पर समाज, संस्कृति, धर्म और राष्ट्र के संवेदनशील सवालों पर दो सबसे प्रभावशाली नेताओं सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट और तीखा संदेश गूंजा। दोनों ने जिस अंदाज में परंपरा व राष्ट्रहित के प्रश्न उठाए, वह इसे एक सामान्य समारोह से आगे बढ़ाकर देश ही नहीं विश्व के लिए भी संकेतक बना।
डॉ. मोहन भागवत ने गीता को ‘जीवन का विज्ञान और मृत्यु का समाधान’ बताते हुए समाज के भीतर चल रहे विभाजनकारी नैरेटिव पर तीखी चिंता जताई। यह वक्तव्य ऐसे समय में आया है, जब देश में धार्मिक-सामाजिक बहसों को लेकर ध्रुवीकरण चरम पर है। उन्होंने स्पष्ट इशारों में कहा कि देश के वर्तमान हालात महाभारत की युद्धभूमि जैसे हैं- भ्रम, मोह और नैतिक लड़खड़ाहट बढ़ रही है। ऐसे समय में गीता मानवता के लिए दिशा-दर्शक है। उनका यह संदेश केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक चेतावनी भी था कि भारत को जोड़ने की संस्कृति पर आघात करने वाले कारकों से सावधान रहना होगा।



