तेल अवीव। इजरायल और ईरान के बीच लड़ाई रोकने के उद्देश्य से घंटों चली कूटनीतिक वार्ता विफल रही। यूरोपीय मंत्रियों और ईरान के शीर्ष राजनयिक के बीच शुक्रवार को जिनेवा में चार घंटे तक बैठक हुई। ठीक इसी समय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध में अमेरिकी सेना के हस्तक्षेप पर विचार कर रहे थे और परमाणु रिएक्टरों पर संभावित हमलों को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं।
यूरोपीय अधिकारियों ने भविष्य में वार्ता की आशा व्यक्त की जबकि ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि वह आगे भी वार्ता के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल की ओर से लगातार हमले किए जाने के कारण ईरान को अमेरिका के साथ वार्ता करने में कोई रुचि नहीं है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “यदि हमले बंद हो जाएं और हमलावर को उसके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए तो ईरान कूटनीतिक कदमों पर विचार करने के लिए तैयार है।
वार्ता के लिए कोई अगली तारीख तय नहीं की गई है। इजरायल ने 13 जून को ईरान परमाणु और सैन्य ठिकानों, शीर्ष जनरलों और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाकर हमले किए थे, जिसके जवाब में ईरान की ओर से हवाई हमले किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था। वाशिंगटन में स्थित ईरानी मानवाधिकार समूह के अनुसार, ईरान में 263 आम नागरिकों समेत कम से कम 657 लोग मारे गए हैं और 2,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इजरायली सेना के अनुमान के अनुसार, ईरान ने इजराइल पर 450 मिसाइलें और 1,000 ड्रोन दागकर जवाबी कार्रवाई की है। सेना के अनुसार, अधिकांश मिसाइलों और ड्रोन को इजरायल की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली ने मार गिराया है, हालांकि इन हमलों में इजरायल में कम से कम 24 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।
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