
दीन दयाल अंत्योदय योजना से चला रहीं कुटीर उद्योग, कर रहीं अगरबत्ती निर्माण
सरकार द्वारा संचालित दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने जिले की हजारों महिलाओं के जीवन को नई दिशा दी है। जिले में अब तक तीन हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित हो चुके हैं, जिनसे जुड़कर ग्रामीण महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि घर-परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला मिशन प्रबंधक सरिता वर्मा ने बताया कि पहले जहां महिलाएं चूल्हा-चौका और घर-गृहस्थी तक ही सीमित रहती थीं, वहीं आज वह समूह की बैठकों में हिस्सा लेती हैं। बैंक खाते संचालित करती हैं, छोटे-छोटे व्यवसाय चला रही हैं और अपने फैसले खुद ले रही हैं। मुद्रा लोन, कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड और रिवॉल्विंग फंड जैसी योजनाओं का लाभ लेकर यह महिलाएं कुटीर उद्योग, पशुपालन, किराना दुकान, सिलाई केंद्र, अगरबत्ती निर्माण जैसे अनेक कार्य कर रही हैं।
-अयोध्या जिला अब प्रदेश में सबसे अधिक सक्रिय समूहों वाला जिला बन चुका है। यहां सबसे ज्यादा महिलाएं सखी (समूह की सक्रिय सदस्य) के रूप में जुड़ी हैं। सरकार द्वारा समूहों को 15 हजार से 2.50 लाख तक का कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड, बैंक लिंकेज और प्रशिक्षण निरंतर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम और सरस आजीविका मेला जैसी योजनाएं भी इन महिलाओं को बड़ा बाजार और नई तकनीक से जोड़ रही हैं। रुदौली, मवई, सोहावल और बीकापुर जैसे ब्लॉकों में तो सैकड़ों समूह ऐसे हैं जिनकी महिलाएं अब लाखों रुपए का सालाना कारोबार कर रही हैं। एक समूह की औसत मासिक बचत 15-20 हजार तक पहुंच चुकी है। कई समूह तो अब क्लस्टर और प्रोड्यूसर कंपनी के रूप में भी पंजीकृत हो चुके हैं।
15 से 20 हजार रुपये की प्रति माह आय
-मिल्कीपुर के शाहगंज की पूनम पांडे एक विद्युत सखी है। वह 2021 में इस योजना से जुड़ी। उन्होंने बताया कि वह विद्युत विभाग के कैंपों में भी जाती हैं। क्षेत्रीय कार्यालय में भी बैठती है। शुरुआत के दिनों में थोड़ी तकलीफ हुई, लेकिन अब उपभोक्ता आते हैं उनको हम बिल बिल जमा करने के लिए कहते हैं या फिर जमा करवाते हैं। इससे मिलने वाले कमीशन से प्रति माह 15 से 20 हजार की आय हो जाती है। कहा विद्युत सखी बनने के बाद से हमारी जिंदगी संवर गई। मिल्कीपुर के कुचेरा बाजार के मंझनाई गांव की ज्योति बैंक सखी है। 2023 में वह इस योजना से जुड़ी। बताया कि वह तो हाउस वाइफ थी। उनसे एक समूह सखी की मुलाकात हुई। इसके बाद जीवन ज्योति के नाम से ही हमने अपना 12 महिलाओं का समूह बनाया। आज समूह में सभी महिलाएं आत्मनिर्भर है।
जिले में कितनी सखियों का है समूह
मद का नाम – संख्या
समूह सखी – 943
बीसी सखी – 545
विद्युत सखी- 239
आईसीआरपी – 215
बैंक सखी – 98
आजीविका सखी – 740
स्वास्थ्य सखी – 370
सूक्ष्म उद्यम सखी – 176
सीनियर आईसीआरपी. – 40
सीएलएफ. बुक कीपर – 44



