‘नेताओं, कारोबारियों, अधिकारियों ने मामले को बंद करने का दबाव बनाया था’
नई दिल्ली। गुरमीत राम रहीम के खिलाफ बलात्कार के मामले की जांच में शामिल रहे सीबीआई के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा है कि जांच करने वाली सीबीआई की टीम को एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मामले को बंद करने का निर्देश दिये जाने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला की शादी हो जाने के बाद जांच दल के लिए काम करना बहुत मुश्किलों भरा था। पंचकूला में शुक्रवार को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को बलात्कार का दोषी ठहराया जिसके बाद हिंसा भड़क गयी।
पूरे घटनाक्रम के बीच सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक एम. नारायणन जांच के दिनों को याद करते हैं जिन्होंने जांच दल की अगुवाई की थी। उन्होंने कहा, ‘‘कई बार हम जीते और कई बार हम हार गये, लेकिन अंतत: फैसले ने दिखा दिया कि कोई कानून से नहीं बच सकता।’’ जब सितंबर 2002 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को सौंपा तब नारायणन दिल्ली में उप पुलिस महानिरीक्षक (विशेष अपराध) थे।
सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा, ‘‘मामला 12 दिसंबर 2002 को दर्ज किया गया था और अचानक मैं देखता हूं कि एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी मेरे दफ्तर में आकर मुझे निर्देश दे रहे हैं कि मामले को बंद करना होगा और कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।’’ इस अप्रत्याशित सलाह से अलग हटते हुए उन्होंने मामले के सभी पहलुओं की जांच का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘बाद में जब जांच चली तो कई शक्तिशाली नेता और कारोबारी सीबीआई मुख्यालय आये और मामले को बंद करने का दबाव बनाया गया। लेकिन न्यायपालिका का आभार है कि हम अपनी जांच को पूरी कर सके।