चौपटिया क्षेत्र में स्थित मां संदोहन देवी मंदिर श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां नवरात्र के पश्चात पड़ने वाली एकादशी के दिन मां भक्तों को पूर्ण श्रृंगार में अपने श्री चरणों के दिव्य दर्शन देती हैं। अन्य दिनों में मां के चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं। मां के इस अलौकिक रूप के दर्शन के लिए दूर-दराज़ से श्रद्धालु उमड़ते हैं।
मां संदोहन देवी के नाम का अर्थ है-शंका और संदेह का हरण करने वाली देवी। मंदिर के पुजारियों के अनुसार जो भक्त नवरात्र में नौ दिन मां के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन करता है, उसकी मनोकामना मां के चरण-दर्शन से पूर्ण होती है।
छठी शताब्दी से जुड़ा है मां का इतिहास
मंदिर के मुख्य सेवादार अनूप वर्मा ने बताया कि मां के पिंडी रूप की कार्बन डेटिंग से यह पुष्टि हुई है कि यह छठी शताब्दी की है। किंवदंती के अनुसार 1300वीं शताब्दी में एक संत को नवरात्र के दौरान लगातार नौ दिनों तक मां ने स्वप्न में दर्शन दिए और तालाब से पिंडी निकालने का आदेश दिया।
भक्तों की मदद से वह पिंडी मिली और एकादशी के दिन उसकी स्थापना की गई। अगले दिन जब श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे तो देखा कि मां की पिंडी लेटी हुई है। बार-बार प्रयासों के बाद भी पिंडी अगली सुबह लेटी हुई ही मिलती थी। तब मां की इच्छा मानते हुए उन्हें लेटी हुई मुद्रा में ही स्थापित कर दिया गया।
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