धार्मिक

शनि प्रदोष व्रत से होती है संतान सुख की प्राप्ति

आज है शनि प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत से शनि भगवान के साथ ही शिव जी की भी कृपा बनी रहती है तो आइए हम आपको शनि प्रदोष व्रत के बारे में विशेष जानकारी देते हैं।

हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष का व्रत शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक प्रदोष व्रत का विभिन्न फल प्राप्त होता है। शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत कहलाता है और उसका खास महत्व होता है। इस साल शनि प्रदोष व्रत 8 मई को पड़ रहा है।

शनि प्रदोष व्रत शनि से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में भी फलदायी होता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार संतान प्राप्ति की कामना के लिये शनि प्रदोष की कथा सुनी जाती है। शनि प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।

बहुत समय पहले एक प्राचीन नगर में एक सेठ-सेठानी रहते थे। दोनों बहुत धर्मात्मा थे। वह हमेशा लोगों की मदद करते और उन्हें सुखी रखने का प्रयास करते थे। लेकिन सबके सुखों का ध्यान रखने के बावजूद सेठ दम्पत्ति निःसंतान होने के कारण बहुत दुखी रहते थे। एक बार दोनों पति-पत्नी तीर्थयात्रा पर जा रहे थे। रास्ते में पेड़ के नीचे एक महात्मा तपस्या में लीन थे। दोनों पति-पत्नी महात्मा के सामने हाथ जोड़कर लेकिन वह तपस्या में लीन रहे। रात भी हो गयी लेकिन वह संत तपस्या में लीन रहे। लेकिन पति-पत्नी धैर्यपूर्वक खड़े रहे। अगली सुबह जब संत अपनी तपस्या से उठे तो उन्होंने पति-पत्नी से कहा कि वह उनकी परेशानी जान गए हैं। उन्होंने दम्पत्ति को शनि प्रदोष व्रत करने को कहा। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उन्हें बहुत जल्द ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इस प्रकार शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से दम्पत्ति के कष्ट दूर हो गए।

शनि प्रदोष व्रत बहुत फलदायी होता है इसलिए शनि प्रदोष पर विशेष पूजा करें। प्रातः उठकर सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहने। उसके बाद सच्चे मन से शिव जी तथा हनुमान जी की आराधना करें। उसके बाद भगवान हनुमान को लड्डू और बूंदी चढ़ाएं। साथ ही प्रसाद को सभी लोगों में बांट कर खाएं।

शनि प्रदोष व्रत की एक खास बात यह है कि इस दिन शनि भगवान के साथ ही शिव जी की भी पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जिनकी कुंडली में शनि की दशा खराब होती है वह शनि प्रदोष का व्रत रखते हैं। व्रत करने वाले भक्तों को सबसे पहले सुबह स्नान कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए उसके बाद शनि देव की आराधना करें। शाम को सूर्य के अस्त होने के बाद रात होने से पहले शिव जी और शनि भगवान की पूजा करना चाहिए। शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि स्तोत्र का ग्यारह बार का पाठ करने से शनि की दशा में सुधार होता है।

शाम को सूर्य अस्त के पश्चात तथा रात होने से पहले प्रदोष काल माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष काल में शंकर भगवान साक्षात् शिवलिंग में प्रकट होते हैं। इसीलिए प्रदोष काल में शिव जी आराधना का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से चंद्रमा के दोषों से छुटाकारा मिलता है। चंद्र दोष दूर होने से मानसिक शांति मिलती है तथा जीवन सुखमय व्यतीत होता है। शनि प्रदोष पर शंकर जी की पूजा के साथ शनि देव की पूजा होती है। शनि प्रदोष व्रत करने तथा शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के अशुभ ग्रहों से छुटाकारा मिलता है। इसके अलावा शरीर रोगमुक्त होता है और ऊर्जा तथा शक्ति अनुभव होता है। शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर शाम को हनुमान चालीसा पढ़ना विशेष फलदायी होता है।

त्रयोदशी तिथि आरंभ- 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्त- 09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट पर

पूजा समय- 08 मई शाम 07 बजकर रात 09 बजकर 07 मिनट तक

प्रदोष व्रत में दिन के अनुसार मिलता है फल, जानें शनि प्रदोष का महत्व

प्रदोष का व्रत दिन के अनुसार निर्धारित होता है। सोम प्रदोष व्रत से अभीष्ट कामनाएं पूरी, मंगल प्रदोष व्रत से रोग मुक्ति और शुक्र प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। लेकिन इन सभी व्रतों में शनि प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत से संतान सुख में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।

शनि प्रदोष व्रत से होते हैं ये फायदे

– ऐसा माना जाता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधा खत्म होती है।

– शनि प्रदोष के दिन शनि तथा भगवान शिव की एकसाथ पूजा करने से शुभ फल मिलता है।

– शनि प्रदोष तथा पुष्य नक्षत्र के योग में शनि देवता की पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को तेल का दान करने से शनि दोष कम हो सकता है।

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