
‘मुंह में राम बगल में छुरी’, मायावती का विपक्षी एकता को पलीता लगाने वाला बयान
विपक्ष के नेताओं की बैठक पटना में हो रही है। बीएसपी चीफ मायावती लखनऊ में है। लेकिन उनकी राजनीतिक दूरबीन तो पटना की मीटिंग पर ही लगी है। उन्हें लगता है कि विपक्ष वाली बैठक टांय टांय फिस्स हो जाएगी। मायावती ने ट्वीट कर कहा कि ये बैठक कुछ ऐसी है जैसे दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए।
Patna में एक साथ 18 विपक्षी पार्टियों के नेता एकजुट हो रहे है। अलग अलग विचारधारा वाले इन राजनीतिक दलों का मकसद बस एक है। अगले चुनाव में ये हर हाल में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना चाहते है।
कांग्रेस को इस मीटिंग में ख़ास तौर से बुलाया गया है। विपक्षी एकता के लिए किसी ने भी मायावती को साथ जोड़ने की कोई कोशिश नहीं की है। एकजुट करने का अभियान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू किया। वे सबसे मिले।
राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, स्टालिन, शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे तक से मिले। नीतीश ने तो भुवनेश्वर जाकर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी मुलाकात की, जो हर मौके पर बीजेपी का साथ देते रहे है। लेकिन उन्होंने मायावती से मुलाक़ात की जरूरत तक नहीं समझी।
‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ वाला चरित्र
नीतीश जब अखिलेश से मिलने लखनऊ गए थे। तो उस वक्त मायावती भी लखनऊ में ही थीं। इसलिए मायावती विपक्षी बैठक में शामिल हो रहे नेताओं पर खूब तंज कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इन नेताओं को जनता के असली मुद्दे का पता तक नहीं है। पहले इन पार्टियों को अपना नीयत साफ करनी चाहिए थी।
मायावती ने कहा इन विपक्षी पार्टियों का चरित्र ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ वाला है। ये कहते कुछ और हैं और करते उसके ठीक अलग हैं। बीएसपी अध्यक्ष ये बताना चाहती हैं कि गठबंधन कर लेने भर से कोई फायदा नहीं होने वाला है।
चुनाव को लेकर कोई रोडमैप नहीं: मायावती
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। ये कहा जाता है यूपी में बाजी मारने वाले को ही दिल्ली की सत्ता मिलती है। मायावती कहती हैं कि पटना में जुटने वाले विपक्षी नेताओं के पास लोकसभा चुनाव को लेकर कोई रोडमैप नहीं है।
4. यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी कहलाती है, किन्तु विपक्षी पार्टियों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे यहाँ अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर व सही मायने में चिन्तित हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारी क्या वाकई जरूरी बदलाव ला पाएगी?
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
जनता के मुद्दे उठाने के बदले ये पार्टियां बस गठबंधन के जुगाड़ में हैं। इस तरह से चुनाव नहीं लड़े जाते है। मायावती कहती हैं पटना में जुट रहीं विपक्षी पार्टियां बस बीजेपी को रोकने के नाम पर तमाशा कर रही हैं।
मायावती अकेले ही बिना गठबंधन के चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। उधर पटना में राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ नजर आएंगे। अब तक तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक दूसरे पर बरसती रही हैं। लेकिन अब दोनों तरफ के कई नेता गठबंधन की वकालत कर रहे है।
1.महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नही
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
मायावती ने कल ही कहा था कि लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकते है। ऐसे में बीएसपी चीफ की कोशिश ये बताने की है कि बीजेपी को सिर्फ वही रोक सकती है।