
पेड़-पौधे लगाने का भी होता है वास्तु नियम, घर में लगाने से पहले जरूर जान लें
सनातन परंपरा में पेड़-पौधों का देवी-देवताओं की तरह पूजनीय बताते हुए उसकी सेवा करने के लिए कहा गया है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में पेड़-पौधों की महत्ता बताते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, तीन कैथा, तीन बेल, तीन आंवला, पांच आम और दस इमली का पेड़ लगाता है।
वह पुण्यात्मा होता है और वह सभी सुखों को भोगता हुआ मोक्ष को प्राप्त होता है। पेड़-पौधे की इसी महत्ता को मानते हुए वास्तु शास्त्र में भी इससे जुड़े जरूरी वास्तु नियम बताए गये हैं। जिसके माध्यम से आप जान सकते हैं कि कौन सा पौधा आपके घर-आंगन या फिर बागीचे के लिए शुभ साबित होगा। आइए पेड़-पौधे से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण वास्तु नियम के बारे में जानते है।
वास्तु के अनुसार घर के भीतर छोटे सजावटी पौधों को उत्तर या फिर पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। यदि आप अपने घर के भीतर पुष्प वाटिका बनाना चाहते है। तो इसके लिए हमेशा पूर्व, पूर्व-उत्तर यानि कि ईशान कोण या फिर वायव्य दिशा का चुनाव करें। यदि आप अपनी पुष्प वाटिका ईशान कोण में बनाना चाहते हैं। तो यहां पर हल्के फूलों वाले पौधे या फिर बेल, जैसे कि तुलसी, आंवला आदि लगा सकते है।
वास्तु के अनुसार आम का पेड़ ईशान और पूर्व दिशा में, जामुन का पेड़ दक्षिण व नैऋत्य कोण के बीच में, अनार का पेड़ घर से बाहर आग्नेय दिशा में लगाना शुभ माना गया है। इसी प्रकार इमली का पेड़ नैऋत्य दिशा, बेल का पेड़ घर के वायव्य दिशा में लगाना चाहिए। वास्तु के पीपल के पेड़ को घर से पश्चिम दिशा में बाहर लगाना अत्यंत शुभ माना गया है।
वास्तु के अनुसार यदि किसी शुभ पौधे को किसी कामना के साथ लगा रहे हैं। तो उसके लिए हमेशा शुभ समय, शुभ तिथि एवं शुभ नक्षत्र का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए। मान्यता है कि शुक्ल पक्ष अष्टमी से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक का समय वृक्षारोपण के लिये शुभ रहता है।
वास्तु के अनुसार पूर्व में किसी भी शुभ पेड़ को अपने भवन से इतनी दूरी पर लगाएं कि उसकी छांव प्रात:काल से लेकर 11 बजे तक आपके घर पर न पड़े।
वास्तु के अनुसार यदि आपके घर पर किसी फलहीन पौधे की छाया पड़ती है। तो उसके वास्तुदोष के चलते अक्सर आपको किसी न किसी परेशानी या रोग का सामना करना पड़ता है। ऐसे पेड़ को किसी दूसरी जगह हटाकर लगवा देना चाहिए।