पीएम मोदी ने किसानों को दी ‘नुआखाई’ की बधाई, अपनी लेखनी से क्रांति लाने वाले तमिल कवि को किया याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को किसानों के त्योहार ‘नुआखाई’ की शुभकामनाएं दीं। नुआखाई का त्योहार किसानों का त्योहार है जिसे देश के कई हिस्सों में भारी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में किसान अच्छी फसल, बेहतर खेती और बारिश के लिए देवताओं की पूजा करते है।
पीएम मोदी ने किसानों की सराहना करते हुए अपने ट्वीट में लिखा। नुआखाई जुहार इस पावन अवसर पर सभी को बधाई नुआखाई पर हम अपने मेहनती किसानों के उत्कृष्ट प्रयासों और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका की सराहना करते हैं। मैं सभी के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं।
नुआखाई’ का त्योहार ओडिशा में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। हालांकि, देशभर के कई अन्य हिस्सों में भी इस त्योहार को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, अन्नदाता अपनी फसल के लिए मौसम और अनुकूल बारिश की कामना के लिए पूजा-अर्चना करते है। साथ ही इस दिन किसान देवताओं को अपनी पहली फसल की कटाई के बाद उसके अन्न का भोग लगाते है।
नाचगान के साथ उत्सव मनाते हैं किसान
दिन की शुरुआत घर के देवी-देवताओं की पूजा के साथ होती है। जिसमें घर का प्रमुख व्यक्ति देवता को अन्न चढ़ाते है। और इसके बाद लोगों में प्रसाद के तौर पर इसको बांटा जाता है। देश के कुछ हिस्सों में इस त्योहार के मौके पर लोग व्रत भी रखते है। साथ ही किसान परिवार इस त्योहार के दिन ढोल की थाप पर नाचगान करते है।
हर वर्ग और उम्र के लोग इस उत्सव में शामिल होते है। इस दिन खास तौर पर ओडिशा में जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इस बार कोरोना के कारण इस त्योहार का उत्सव काफी सतर्कता के साथ मनाया जा रहा है।
तमिल कवि को पीएम मोदी ने किया याद
नुआखाई त्योहार पर किसानों को शुभकामनाएं देने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती को उनकी 100वीं पुण्यतिथि पर उनके बहुमुखी योगदान के लिए याद किया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की 100वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि हम उनकी समृद्ध विद्वता, राष्ट्र के लिए बहुआयामी योगदान, सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण पर उनके महान आदर्शों को याद करते है। पीएम मोदी ने अपने एक भाषण का वीडियो भी शेयर किया और लिखा। यहां एक भाषण है जो मैंने दिसंबर 2020 में उन पर दिया था।
कौन थे सुब्रमण्यम भारती?
सुब्रमण्यम भारती (1882-1921) ने 20 वर्षों के साहित्यिक जीवन में अपनी लेखनी से लोगों में एक नई चेतना का प्रसार किया था। उन्होंने कविताएं लिखीं, लेख लिखे, ग्रंथों का अनुवाद किया. उनके देशभक्ति से ओतप्रोत लेखनी ने लोगों के उत्साह को बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5 वर्ष की आयु मां का निधन हो गया। जिसके बाद वो घर पर अकेले हो गए। वो छिपकर मंदिरों में तमिल साहित्य का अध्य्यन किया। जिसमें रामायण भी शामिल था। इस प्रकार उनका मन साहित्य में लगने लगा। पिता ने अंग्रेजी पढ़ने के लिए तिरुनेलवेली भेजा लेकिन वो 10वीं में फेल हो गए। इसके बाद पिता ने उन्हें स्थानीय रियासत की सेवा में रखवा दिया।
फेल होने पर हुआ अपमान तो ऐसे सिद्ध की अपनी प्रतिभा
यहां एक बार उन्हें 10वीं में फेल होने को लेकर अपमान सहना पड़ा। जिसके बाद अपमान करने वाले को उन्होंने वाद-विवाद की चुनौती दी। इस दौरान उनके वक्तव्य को सुनकर सभी चौंक गए। यही वो समय था जब उनके नाम के साथ भारती जोड़ा गया।
वर्ष 1898 में उनके पिता का निधन हो गया। पिता साया सिर से उठने के बाद वो पैदल ही काशी पहुंच गए और केंद्रीय हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया। उनके क्रांतिकारी लेखों के कारण ब्रिटिश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी की तैयारी में थी तभी वो भूमिगत हो गए। उन्होंने पतंजलि के योगसूत्र और भगवद्गीता का भी अनुवाद किया।



