
कपास संघ ने इस साल के लिये कपास उत्पादन का अनुमान घटाया, खपत में भी कमी का अनुमान
देश के कई कपास उत्पादक राज्यों में फसल में कमी की वजह से इस साल कपास का उत्पादन पिछले अनुमान से भी कम रह सकता है। भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने इस साल के लिये कपास उत्पादन के अपने अनुमानों में कटौती की है।
मुख्य रूप से तेलंगाना में अनुमानित उत्पादन कम होने के कारण सितंबर में समाप्त होने वाले चालू फसल वर्ष के लिए कपास उत्पादन अनुमान 5 लाख गांठ घटाकर 343.13 लाख गांठ कर दिया। कपास फसल वर्ष अक्टूबर से लेकर सितंबर तक जारी रहता है।
पिछले सत्र में कुल कपास उत्पादन 353 लाख गांठ रहा था। इसके साथ ही संघ ने अनुमान लगाया है कि इस दौरान घरेलू खपत में भी पिछले अनुमान के मुकाबले कमी देखने को मिल सकती है।
तेलंगाना में 2 लाख गांठ कम रह सकता है उत्पादन
सीएआई के अनुसार, नवीनतम अनुमान पहले के अनुमान की तुलना में 5 लाख गांठ की कटौती दर्शाता है. तेलंगाना में सत्र के दौरान कपास उत्पादन में 2 लाख गांठ, गुजरात और कर्नाटक में प्रत्येक में एक लाख गांठ, और आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 50 हजार गांठ की कमी आने का अनुमान है।
सीएआई ने अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के चार महीनों में कपास की कुल आपूर्ति 272.20 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है। इसमें 192.20 लाख गांठ की आवक होने, 5 लाख गांठ का आयात होने और सत्र की शुरुआत में 75 लाख गांठ का शुरुआती स्टॉक होना शामिल है। इसके अलावा, अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 तक अनुमानित कपास की खपत 114 लाख गांठ होने का अनुमान है।
जबकि 31 जनवरी, 2022 तक निर्यात 25 लाख गांठ होने का अनुमान है। सीएआई द्वारा अनुमानित घरेलू खपत को 345 लाख गांठ के अपने पिछले अनुमान के मुकाबले घटाकर 340 लाख गांठ कर दिया गया है।
कपास की ऊंची कीमतों से निर्यातक परेशान
फिलहाल कपास की कीमतों में बढ़त बनी हुई है। साल की शुरुआत में ही कपास की कीमतें 80 प्रतिशत तक बढ़ चुकी थी। पिछले महीने ही इंडस्ट्री से जुड़े संघ ने कपास के निर्यात पर नियंत्रण, कपास के आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क को हटाने और कपास तथा अन्य कच्चे माल की कीमतों को विनियमित करने के लिए एक व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया था।
इंडस्ट्री के मुताबिक कपास की कीमत में भारी बढ़ोतरी से परिधान विनिर्माताओं और निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है और उन्हें अपने ऑर्डर गंवाने पड़ रहे है। ऐसे में अगर इस साल भी कपास का उत्पादन घटता है। तो निर्यातको के लिये समस्या बढ़ जायेगी।