मुख्यमंत्री योगी बोले- ऑक्सीजन का ऑडिट कराएंगे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि किसी भी निजी या सरकारी कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। समस्या कालाबाजारी और जमाखोरी है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए 32 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर काम हो रहा है। सरकार ऑक्सीजन का ऑडिट कराने जा रही है। अस्पतालों में बेड की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। रेमडेसिविर जैसी दवाओं का भी कोई अभाव नहीं है। तैयारी पहले से बेहतर है।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को समाचार पत्रों के संपादकों के साथ वर्चुअल संवाद के दौरान कोविड-19 के प्रबंधन के लिए सरकार के कदमों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले एक निजी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना वायरल की गई थी। पड़ताल कराया गया तो पता चला पर्याप्त ऑक्सीजन है। इससे लोगों में भय बढ़ रहा है। जिसे जरूरत नहीं है, वह भी ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए परेशान है। मीडिया को भी जागरूकता बढ़ाना चाहिए कि हर संक्रमित मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरकारी संस्थानों में ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था कर रखी है। निजी संस्थानों में इस व्यवस्था का अभाव था। डीआरडीओ की नवीनतम तकनीक आधारित 18 प्लांट सहित 32 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम हो रहा है। सरकार ऑक्सीजन प्लांट स्थापना के लिए प्रोत्साहन दे रही है। जब अचानक बेड बढ़ाने पड़े तो कुछ समस्या जरूर हुई, लेकिन तेजी के साथ उस अभाव की पूर्ति कर ली गई।
योगी ने कहा कि ऑक्सीजन की बेहतर मॉनिटरिंग के लिए सरकार आईआईटी कानपुर, आईआईएम लखनऊ और आईआईटी बीएचयू के सहयोग से ऑक्सीजन का ऑडिट कराने जा रही है। ऑक्सीजन की मांग-आपूर्ति-वितरण की लाइव ट्रैकिंग की व्यवस्था लागू हो गई है। ऑक्सीजन कहीं कम नहीं है, बशर्ते केवल जरूरतमंद ही इसका इस्तेमाल करें।यह एक आपदाकाल है, महामारी है। इसे सामान्य वायरल बुखार भर मान लेना भूल होगी। यह ध्यान रखना होगा कि इस बार की कोविड लहर पिछली लहर की तुलना में 30 गुनी अधिक संक्रामक है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार बेहतर इलाज के लिए सभी जरूरी इंतजाम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रेमडेसिविर जैसी दवाओं का अभाव नहीं है। जब मांग बढ़ी तब सरकार ने स्टेट प्लेन भेजकर अहमदाबाद से इंजेक्शन मंगवाए। हर दिन आपूर्ति हो रही है, लेकिन अज्ञानतावश अथवा अनावश्यक भय के चलते लोग इस इंजेक्शन की मांग करने लगे। इसकी चिकित्सकीय जरूरतों को समझना होगा। जिसे जरूरत हो वही इस दवा का प्रयोग करे।
योगी ने कहा कि महामारी की शुरुआत में 36 जिलों में एक भी वेंटिलेटर नहीं था। आज हर जिले में वेंटिलेटर है। प्रशिक्षित मानव संसाधन है। ऑक्सीजन प्लांट हैं। यूपी पहला राज्य है, जिसने 4 करोड़ टेस्ट किया है।
फ्री वैक्सीनेशन फॉर ऑल का निर्णय लेने वाला पहला राज्य भी यूपी है। एक मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को नि:शुल्क टीका लगाया जाना है। वित्त मंत्री की अध्यक्षता में गठित एक विशेष कमेटी ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 10 मई तक प्रदेश में कोरोना जांच की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष फरवरी में जब पहला केस आया था, तब हमारे पास कोई संसाधन नहीं थे। पहले दिन मात्र 72 टेस्ट हो सके थे। आज हर दिन सवा दो लाख टेस्ट हो रहे हैं। हर प्रयोगशाला को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध करा दिए गए हैं। 10 मई तक हमारी टेस्टिंग कैपिसिटी आज की तुलना में दोगुनी हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी की स्थिति की समीक्षा करते हुए यहां की व्यापक आबादी, जनसांख्यकीय विविधता को भी ध्यान में रखना होगा। पिछले दिनों दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा हुई, तो रातों-रात एक से डेढ़ लाख प्रवासी श्रमिकों का आगमन हुआ। हमने बसें लगाईं, व्यवस्था की। सभी का टेस्ट कराया और आवश्यकतानुसार क्वारंटीन किया। यह सारी कार्यवाही त्वरित थी। टेस्ट हो या ट्रीटमेंट, राज्य सरकार ने सभी के लिए शुल्क की दरें तय कर दी हैं। इससे अधिक शुल्क लेने पर महामारी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई होना तय है। इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया है।
सीएम ने कहा कि लखनऊ सहित सभी जिलों के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई गई है। अकेले लखनऊ में केजीएमयू और बलरामपुर हॉस्पिटल के साथ-साथ एरा, इंटीग्रल, प्रसाद, हिंद, मेयो और सक्सेना सहित अनेक निजी मेडिकल कॉलेजों को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित किया है। लखनऊ में हर बड़े हॉस्पिटल के लिए अलग नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। बिना भेदभाव के सभी को बेड्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।



