
आज और कल दो दिन रहेगी अमावस्या तिथि, जानें शुभ समय, मुहूर्त और उपाय
हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या होती है। मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहते हैं। जब यही अमावस्या सोमवार को पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या का विशेष स्थान है। हिंदू धर्म में माघ मास को बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। माघ के महीने में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। सोमवती अमावस्या के दिन विधि-विधान से भगवान का पूजन करते हैं, लेकिन इस दिन पूजा-पाठ के भी कुछ नियम होते हैं। आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या की तिथि और मुहूर्त के बारे में-
सोमवती अमावस्या 2022 तिथि और मुहूर्त
सोमवती अमावस्या की तिथि आरंभ: 31 जनवरी, सोमवार, रात्रि 02: 18 मिनट से
सोमवती अमावस्या की तिथि समाप्त: 01 फरवरी,मंगलवार प्रातः 11: 15 मिनट तक
स्नान आदि सूर्योदय के समय से होता है, इसलिए मौनी अमावस्या का स्नान 01 फरवरी को है।
पुण्यदायक मानी जाती है सोमवती अमावस्या
31 जनवरी को पड़ने वाली अमावस्या साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या है। सोमवती अमावस्या काफी पुण्यदायी मानी जाती है। सोमवार के दिन अमावस्या का संयोग होने से सोमवती अमावस्या का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि गंगा स्नान आदि सूर्योदय के समय होता है इसलिए गंगा स्नान के लिए मंगलवार का दिन यानि 1 फरवरी को ज्यादा उत्तम रहेगा। लेकिन पितरों के लिए तर्पण आदि के कार्य सोमवार के दिन किए जा सकते हैं।
सोमवती अमावस्या के शुभ संयोग पर करें ये उपाय
यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं। ऐसा करने से पितर बेहद प्रसन्न होते हैं।
आपके द्वारा लगाया गया पीपल का पौधा जैसे जैसे बड़ा होगा। आपको अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके घर के सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे।
वैसे तो पीपल का पौधा किसी भी अमावस्या को लगाया जा सकता है। लेकिन सोमवती अमावस्या का संयोग आसानी से नहीं मिल पाता ऐसे में यह शुभ संयोग 31 जनवरी को मिल रहा है।
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है ऐसे में इस दिन पितरों के नाम तर्पण करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करें और पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें, पूजन से पहले खुद पर गंगाजल का छिड़काव करें।
अगर आप इस दिन पितरों के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करेंगे, तो इससे उनके कष्ट दूर होंगे और पितर प्रसन्न होंगे।
सोमवती अमावस्या के दिन दान स्नान का विशेष महत्व है। ऐसे में पितरों को ध्यान में रखते हुए दान अवश्य करें। दान किसी जरूरतमंद को ही करें।