मराठी भाषा का करें सम्मान
उद्धव ने कहा कि शिवसेना किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन हिंदी को जबरदस्ती थोपना स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, “हम मराठी को किसी पर नहीं थोपते, तो कोई हम पर अपनी भाषा क्यों थोपे?” उद्धव ने मारुति स्तोत्र और हनुमान चालीसा का जिक्र करते हुए कहा, “हम मराठी में मारुति स्तोत्र का पाठ करते हैं, आप हनुमान चालीसा का पाठ करें, आखिर भगवान तो एक ही हैं।” बीजेपी पर मराठी अस्मिता को दबाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह ट्रेडिंग की तरह मराठी संस्कृति को कमजोर करने की सुनियोजित चाल है।
मराठी एकता और ट्रेडिंग की राजनीति
उद्धव और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मराठी भाषा के समर्थन में एकजुट होकर मोर्चा निकाला, जिसने मराठी स्वाभिमान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उद्धव ने कहा, “हमारा एक साथ आना केवल मराठी समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंदी, गुजराती और अन्य भाषाई समुदायों के लिए भी प्रेरणादायी है।” इसे संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की भावना से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि मराठी माणूस अब ट्रेडिंग की तरह अन्याय को सहन नहीं करेगा।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल
पहलगाम आतंकी हमले पर उद्धव ने केंद्र सरकार की नीतियों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “आतंकियों ने हमला किया और गायब हो गए। सरकार बताए कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया? क्या यह ट्रेडिंग की तरह कोई सौदा था?” उन्होंने सरकार की विफलता पर सवाल उठाते हुए सेना के कदम पीछे खींचने की वजह पूछी।
धारावी पुनर्विकास: ट्रेडिंग का सबसे बड़ा घोटाला
उद्धव ने धारावी पुनर्विकास को देश का सबसे बड़ा भूमि घोटाला करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई की कीमती जमीनें, जैसे बांद्रा रिक्लेमेशन और मदर डेयरी का प्लॉट, ट्रेडिंग की तरह बड़े उद्योगपतियों को सौंप दी जा रही हैं। उद्धव ने कहा, “शिवसेना को तोड़ा गया, क्योंकि हमने मुंबई के हितों पर कभी समझौता नहीं किया।”
केंद्र पर ट्रेडिंग की नीति का आरोप
उद्धव ने केंद्र सरकार पर देश को ट्रेडिंग के लिए बेचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “देश का प्रधानमंत्री नहीं, सिर्फ बीजेपी का प्रधानमंत्री है। ये लोग संविधान को मानने को तैयार नहीं।” उन्होंने पर्यावरण, बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों की लूट को भी ट्रेडिंग की नीति का हिस्सा बताया।
मराठी माणूस की जागृति
उद्धव ने मराठी माणूस की ताकत पर जोर देते हुए कहा, “मराठी माणूस शांत रहता है, लेकिन अन्याय सहन नहीं करता। उसकी सहनशक्ति अब खत्म हो चुकी है।” उन्होंने मराठी अस्मिता के लिए एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि शिवसेना धारावी के लोगों के हक के लिए सड़कों पर लड़ेगी।