लखनऊ। साल 2025 उत्तर प्रदेश के लिए कई मायनों में अहम रहा। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे ‘विकास का स्वर्णिम वर्ष’ करार दिया, जबकि आम लोगों के लिए यह साल उपलब्धियों के साथ चुनौतियों और संघर्षों का भी प्रतीक बनकर सामने आया। अर्थव्यवस्था से लेकर कानून-व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर शिक्षा-स्वास्थ्य तक सरकार ने कई मोर्चों पर बड़ी उपलब्धियों का दावा किया, वहीं कुछ घटनाओं और अधूरी योजनाओं ने सवाल भी खड़े किए। साल के आखिरी पड़ाव पर आइए जानते हैं, 2025 में उत्तर प्रदेश ने क्या पाया और किन मोर्चों पर अभी काम बाकी है।
अर्थव्यवस्था: रिकॉर्ड ग्रोथ का दावा
योगी सरकार ने 2025 में अर्थव्यवस्था के नई ऊंचाइयों को छूने का दावा किया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश की जीएसडीपी 27.51 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 32 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य तक पहुंची। खास बात यह रही कि यह उपलब्धि बिना किसी नए टैक्स के हासिल की गई। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के रूप में 683 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदेश में आए।
सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश अब देश की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर खड़ा है। एथेनॉल उत्पादन में भी प्रदेश ने रिकॉर्ड बनाया। साल भर में 141.8 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हुआ। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर से दो करोड़ से अधिक नई नौकरियां सृजित होने का दावा किया गया। सरकार के अनुसार बेरोजगारी दर 19 फीसदी से घटकर 2.4 फीसदी रह गई, हालांकि विपक्ष इन आंकड़ों पर लगातार सवाल उठाता रहा।
बजट और इंफ्रास्ट्रक्चर:
खर्च के नए कीर्तिमान वर्ष 2025-26 में उत्तर प्रदेश का बजट 8 लाख करोड़ रुपये का रहा, जो राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा बजट है। इसमें 2.25 लाख करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए तय किए गए। छह नए एक्सप्रेसवे, दर्जनों फ्लाईओवर, हवाई अड्डों का विस्तार और ग्रामीण सड़कों का जाल बिछाने का काम तेज हुआ।
बिजली उत्पादन बढ़ने से प्रदेश के बिजली सरप्लस राज्य बनने का दावा भी किया गया। कानून-व्यवस्था और पुलिस सुधार योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। साल 2025 में 62 हजार सिपाहियों की भर्ती की गई।
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