
राज्यपाल की अध्यक्षता में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ का 20वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (के.जी.एम.यू.) लखनऊ में आंगनबाड़ी किट वितरण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत हरदोई जिले के लिए 200 आंगनबाड़ी किटों का वितरण किया गया, जिसमें 100 किट के.जी.एम.यू., लखनऊ तथा 100 किट जिला प्रशासन, हरदोई द्वारा प्रदान किया गया।
राज्यपाल ने विशेष रूप से 10 अति कुपोषित बच्चों को पोषण किट प्रदान की। यह प्रयास बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया।
अपने संबोधन में राज्यपाल जी ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पोषण और शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में मदद मिलती है। कार्यक्रम में आंगनबाड़ी के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा दी गई मनमोहक प्रस्तुतियों पर राज्यपाल जी ने प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को बच्चों के सामने एक आदर्श व्यवहार प्रस्तुत करना चाहिए क्योंकि बच्चे अपने शिक्षकों से बहुत
कुछ सीखते हैं और जो वे इस उम्र में देखते हैं, वह उनके मानस पटल पर स्थायी रूप से अंकित हो जाता है। राज्यपाल जी ने बच्चों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि बच्चों को सही दिशा दिखाने का कार्य आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियाँ छोटे बच्चों, गर्भवती माताओं और किशोरियों के मार्गदर्शन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
अपने संबोधन में राज्यपाल जी ने चिकित्सकों को ऐसी डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का निर्देश दिया, जो गर्भावस्था और शिशु के विकास के विभिन्न चरणों को प्रदर्शित करती हो। इसमें गर्भवती महिला के आहार, वातावरण, और इन कारकों का शिशु पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाना चाहिए। इस फिल्म का प्रसारण समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाया जाए ताकि लोग जागरूक हो सकें।
राज्यपाल ने यह भी संकल्प लेने का निर्देश किया कि कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने स्वच्छता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए। साथ ही, आंगनबाड़ी के विकास में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन और डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर बच्चों को नवीनतम जानकारियाँ प्रदान करनी चाहिए।