काठमांडू। पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वह अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी। इसके साथ ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त हो सकती है क्योंकि कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के चलते मंगलवार को के पी शर्मा ओली को अचानक प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति कार्यालय में 73 वर्षीय कार्की को पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर राष्ट्रपति पौडेल और नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री के अलावा, उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और प्रधान न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि नई कार्यवाहक सरकार को छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने का दायित्व सौंपा गया है।
पहली कैबिनेट बैठक में आम चुनाव का प्रस्ताव
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने आम चुनाव की तारीख का प्रस्ताव रखा है। अंतरिम सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में 4 मार्च को आम चुनाव कराने की सिफारिश की। अधिकारियों के मुताबिक, छह महीने के भीतर राष्ट्रीय चुनाव की औपचारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी।
इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और ‘जेन जेड’ के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया। रविवार से बड़े पैमाने पर जारी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर कार्की के समक्ष नेपाल में कानून-व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है।
सूत्रों ने बताया कि शपथ ग्रहण के बाद कार्की एक छोटा मंत्रिमंडल गठित करेंगी और मंत्रिमंडल की पहली बैठक में विभिन्न हितधारकों के बीच बनी सहमति के अनुसार राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश कर सकती हैं। राष्ट्रपति पौडेल ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का फैसला लेने से पहले प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सम्मानित व्यक्तियों से भी अलग-अलग विचार-विमर्श किया।
‘जेन जेड’ समूह द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करने के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में भ्रष्टाचार पर अंकुश, पक्षपात को समाप्त करना और सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध हटाना शामिल था। नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध के खिलाफ हाल में हुए ‘जेन जेड’ प्रदर्शन में एक भारतीय नागरिक सहित कम से कम 51 लोगों की मौत हुई है। वर्ष 1997 से लेकर 2012 तक के बीच जन्में युवाओं को आम तौर पर ‘जेन जेड’ पीढ़ी के नाम से जाना जाता है।
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