एनालिसिस
Rohingya Muslims को भारत से खदेड़ा जाये
सुनील भराला, राष्ट्रीय सह संयोजक, भाजपा झुग्गी झोपडी प्रकोष्ठ ने भारत में अवैध रूप से घुसने व शरणार्थी बनने हेतु प्रयासरत Rohingya Muslims को भारत में शरण देने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई याचिका के खिलाफ Rohingya Muslims को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर संकट बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाली है। इस विषय पर माननीय न्यायालय के आगे सारे तथ्य रखने की बात कही है। और इनकी अबाधित घुसपैठ पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा बताया है।
भराला ने कहा कि राष्ट्र के विभिन्न संगठनों द्वारा Rohingya Muslims की प्रताड़ना पर चिंता व्यक्त करने के पूर्व में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सद्दाम हुसैन के व्यापक विनाश के हथियारों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गयी। परन्तु बाद में ये कहानी ही झूठी निकली।
केवल संयुक्त राष्ट्र और कुछ कथित मानवाधिकारवादी संगठनों के कहने पर नहीं, बल्कि तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकालने की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकारवादी संगठनों पर निशाना साधते हुए भराला ने कहा कि सन 2016 की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने ही इसे स्वीकार किया है।
2012 के बाद से Rohingya Muslims के प्रति कोई विशेष हिंसा नहीं हुई है। इस रिपोर्ट के बाद सिर्फ एक घटना इस वर्ष की बतायी जा रही है। परन्तु उसमें भी पूरा विश्व एक स्वर से यह स्वीकार रहा है। कि इस वर्ष की घटना म्यांमार के सैनिक ठिकानों पर रोहिंग्याओं द्वारा गंभीर हमले के बाद हुई है। स्पष्ट है कि रोहिंग्या समस्या वास्तव में एक हौवा है।
भराला ने कहा कि इस वक्त देश के सामने इस्लामी आतंकवाद एक गम्भीर मुद्दा है। देश पिछले कई दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले झेल रहा है। उन्होंने कहा कि Rohingya Muslims के सम्बन्ध कई आतंकवादी संगठनों से हैं। यह बात कई बार सामने आ चुकी है। इसलिए, इन लोगों को देश में शरण देना बहुत बड़ी भूल होगी।
अतः देश की सुरक्षा और भविष्य को देखते हुए भराला ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल फाइल की है। इसके साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों और एनजीओ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग देश हित को दांव पर लगाकर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। जोकि निंदनीय है और राष्ट्र विरोधी भी है|
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