क्रांतिकारी श्यामजी वर्मा को उनकी जयंती पर नमन किया गया
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रियों सहित अन्य ने भारत की आजादी के लिए अथक प्रयास करने वाले क्रांतिकारी श्यामजी वर्मा को उनकी 160वीं जयंती पर नमन किया। केन्द्रीय संस्कृति मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा में ट्वीट किया है, ‘‘देशभक्ति के मिसाल श्री श्यामजी वर्मा का जीवन और उनका काम प्रेरणा का स्रोत है। उनकी जयंती पर मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि।’’ केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने श्यामजी वर्मा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष भाषण साझा करते हुए लिखा है, ‘‘समाज की नि:स्वार्थ सेवा करने वालों को हमेशा याद करते हुए।
श्यामजी वर्मा।’’ सांसद कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया है, ‘‘अपना सम्पूर्ण जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित करने वाले भारत मां के अमर सपूत श्यामजी कृष्ण वर्मा जी की जयंती पर नमन।’’ पेशे से वकील और पत्रकार श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भारत की आजादी की लड़ाई में महान योगदान दिया। उन्होंने देश से बाहर स्वतंत्रता संग्राम के सबसे सक्रिय केन्द्र लंदन में ‘इंडियन होमरूल सोसायटी’, ‘इंडियन हाऊस’ और ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ की स्थापना की। चार अक्तूबर, 1857 को जन्मे वर्मा भारत में विभिन्न रियासतों के दीवान भी रहे। संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के विद्वान वर्मा दयानंद सरस्वती के प्रशंसक थे।
उनकी मृत्यु 30 मार्च, 1930 को देश से बाहर हुई। वर्मा ने अपने मृत्यु से पहले ही जिनीवा की स्थानीय सरकार और सेंट जॉर्ज कब्रिस्तान के साथ करार किया था कि वह उनकी और पत्नी की अस्थियां 100 वर्षों तक सुरक्षित रखें और भारत के आजाद होने पर वहां भिजवा दें। आजादी मिलने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी अस्थियों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की। उनकी अस्थियां अंतत: 22 अगस्त, 2003 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी गयी। वर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए अस्थियां उनकी जन्मस्थली महाराष्ट्र के मांडवी ले जायी गयीं जहां उनकी याद में ‘क्रांति तीर्थ’ के नाम से स्मारक का निर्माण किया गया।