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पंजाबी शेरों ने चक दिया इंडिया, स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी टीम में 10 खिलाड़ी पंजाब के

पंजाब के शेरों ने एक बार चक दे इंडिया के नारे को बुलंद कर दिया। एशियाई खेलों में भाग लेने वाली भारतीय हॉकी टीम (पुरुष) के 10 खिलाड़ी पंजाब से हैं। इनमें से पांच जालंधर की संसारपुर अकादमी से निकले हैं। संसारपुर ने यह एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी नर्सरी विश्व की नंबर वन है।

हॉकी से जुड़े दिग्गज बताते हैं कि इस बार टीम एकजुट होकर खेली और सबसे बड़ी बात है कि भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह को भारत का ध्वजवाहक बनाया गया था, उसी क्षण से भारतीय हॉकी टीम उत्साह से लबरेज थी।

हॉकी के चीफ नितिन कोहली का कहना है कि भारतीय हॉकी टीम के कप्तान को जब भारत के 654 खिलाड़ियों को लीड करने के लिए ध्वजवाहक बनाया गया था तो उसी समय यह साफ हो गया था कि पंजाबी तिरंगे की शान को बरकरार रखेंगे। एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ और यह ऊर्जा फाइनल में दिखाई दी।

कोहली का कहना है कि एशियाई खेलो में पंजाबियों ने एक बार फिर से इतिहास दोहराया है। एशियन खेलों में फाइनल में स्वर्ण पदक जीत कर ओलिंपिक खेलों में अपनी जगह पक्की करने वाली भारतीय हाकी टीम के 10 खिलाड़ी पंजाब से हैं। इनमें से पांच खिलाड़ी मनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, वरुण, सुखजीत, हार्दिक सिंह हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले जालंधर से हैं।

पड़ोसी जिला कपूरथला से एक खिलाड़ी कृष्ण बहादुर पाठक जीके हैं। 10 में से चार खिलाड़ी टीम के कैप्टन हरमनप्रीत सिंह, गुरजंट सिंह, शमशेर सिंह, जरमनजीत सिंह बल गुरु नगरी अमृतसर से हैं। यह दूसरा मौका है जब एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पुरुष हाकी टीम में 10 खिलाड़ी सिर्फ पंजाब से हैं। 1966 के बैंकाक एशियन गेम्स में भी पुरुष हॉकी टीम ने पहली बार गोल्ड जीता था। उस विजेता हाकी टीम में भी 10 खिलाड़ी पंजाब से ही थे।

सुरजीत हॉकी अकादमी के सुरिंदर सिंह भापा का कहना है कि एशियन गेम्स में पंजाबियों ने एक फिर से अपना लोहा मनवाया और इतिहास को दोहरा कर नौ साल बाद स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। भारतीय पुरुष हाकी टीम ने अब तक 1966, 1998 और साल 2014 एशियन गेम्स में फाइनल जीत कर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया था।

जालंधर ने हमेशा भारतीय हॉकी टीम में रीढ़ की हड्डी का काम किया है। कुछ समय के लिए भारतीय हॉकी जरूर राजनीति का शिकार हो गई थी, लेकिन अब खेल भावना जबरदस्त पैदा हुई है। शुक्रवार के मैच को बारीकी से देखे तो कोई खिलाड़ी अपने नहीं खेलता दिखाई दिया, वह भारत के तिरंगे के लिए खेल रहा था।

कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने शानदार खेल दिखाया। उन्होंने सबसे ज्यादा दो गोल दाग कर जापान को बैकफुट पर कर दिया। उनके बाद मनप्रीत सिंह, अभिषेक व अमित रोहिदास ने भी 1-1 गोल कर टीम में योगदान दिया।
हॉकी के कप्तान रह चुके अर्जुन अवार्डी गगनअजीत सिंह का कहना है कि भारत ने जब शुरुआती दिनों में ओलंपिक में खेलना शुरू किया था, तब वह कई टीमों पर दो अंकों में जीत दर्ज किया करती थी। 1932 के ओलंपिक में अमेरिका पर हासिल की 24-1 की जीत की अक्सर चर्चा होती रही है।

भारत ने इस एशियाई खेलों में पूल मुकाबलों में पाकिस्तान सहित चार टीमों पर दो अंकों वाली जीत पाकर पुराने दिनों की याद ताजा कर दी। परंपरागत प्रतिद्वंद्वी मानी जाने वाली पाकिस्तान को 10-2 से हराना टीम का मनोबल बढ़ाने वाला रहा। पाकिस्तान पर एक बड़ी जीत ने भारतीय हॉकी टीम में खासा उत्साह पैदा किया। एशियन गेम्स 2023 में भारतीय हॉकी टीम ने कुल 68 गोल दागे हैं और खिलाफ में केवल नौ गोल लगे हैं।

जालंधर की सुरजीत हॉकी अकादमी से निकले हैं हरमनप्रीत सिंह
हरमनप्रीत सिंह का पालन-पोषण अमृतसर के एक किसान परिवार में हुआ। हरमनप्रीत ने पिछले साक्षात्कारों में स्वीकार किया है कि खेतों में अपने पिता की सहायता करने की उनकी क्षमता ने उन्हें हॉकी के खेल में महत्वपूर्ण योगदान देने की अनुमति दी है। जब वे 10 वर्ष के थे, तब उन्होंने पहली बार हॉकी खेलना शुरू किया।

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