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President & PM ने लाल बहादुर शास्त्री जी को दी श्रद्धांजलि

दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देकर भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आगे ले जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए President & PM ने श्रद्धांजलि अर्पित की। विजय घाट शास्त्री का समाधि स्थल है। राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल पर पोस्ट किया है, ‘‘शास्त्रीजी की जयंती पर उन्हें नमन। युद्धकाल में दृढ नेतृत्व, हरित क्रांति के प्रणेता; ‘जय जवान जय किसान’ से प्रेरणा दी- राष्ट्रपति कोविन्द।’’ राष्ट्रपति कार्यालय ने लाल बहादुर शास्त्री की समाधि विजय घाट पर राष्ट्रपति कोविंद द्वारा उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करती हुई तस्वीरें भी साझा की हैं। उन्होंने दो जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था।

शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। रूस के ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया,‘‘जवानों एवं किसानों के प्रणेतास्रोत एवं देश को कुशल नेतृत्व प्रदान करने वाले शास्त्री जी को नमन।’’ उन्होंने विजय घाट पर शास्त्री को पुष्पांजलि अर्पित करती हुई अपनी तस्वीरें टि्वटर पर साझा करते हुए लिखा है, ‘‘विजय घाट पर, लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धांजलि दी।

अपने ट्वीट के साथ पोस्ट किये गये ऑडियो वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा है, ‘‘जय जवान जय किसान” ये मंत्र घर घर में गूंजा। दशकों बाद आज भी वो मंत्र गूंजता रहा।’’ मोदी ने कहा है, ‘‘यही देश, यही गंगा और यहां की नदियां, यही मेरे किसान और यही खेत खलिहान, यह सब होने के बावजूद भी 60-70 के दशक में हिन्दुस्तान विदेशों से गेहूं मंगवा करके खाता था। ये गेहूं को लाना और गांव गांव बांटना सरकार का प्रमुख काम रहता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक लाल बहादुर शास्त्री आये और जय जवान जय किसान का मंत्र दिया, हिन्दुस्तान का किसान उठ खड़ा हो गया और कहा हिन्दुस्तान अब भूखा नहीं मरेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दुस्तान का आम आदमी विदेश का गेंहू खाने को मजबूर नहीं होगा, यह संकल्प सरकार ने नहीं मेरे देश के किसानों ने लिया, लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर लिया। आज हमें विदेशों से गेहूं नहीं मंगवाना पड़ता।’’

बिहार के मुगलसराय में दो अक्तूबर 1904 को जन्मे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल ना सिर्फ ‘जय जवान, जय किसान’ के उनके नारे, बल्कि पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के लिए भी जाना जाता है। भारत की आजादी के बाद शास्त्री को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रिमंडल में उन्होंने पुलिस और परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। पुलिस मंत्री रहते हुए उन्होंने ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ करवाया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमंत्रित्वकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्री को 1964 में देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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