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प्रधानमंत्री ने गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समापन समारोह को सम्बोधित किया

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज जनपद गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समापन समारोह को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्हांंने चित्रमय शिवपुराण एवं नेपाली भाषा में शिवपुराण का विमोचन किया। उन्होंने गीता प्रेस स्थित लीला चित्र मन्दिर का भ्रमण भी किया।

इसके उपरान्त, प्रधानमंत्री जी ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर 500 करोड़ रुपये की लागत की गोरखपुर रेलवे स्टेशन पुनर्विकास की परियोजना का शिलान्यास किया। उन्होंने गोरखपुर से लखनऊ एवं जोधपुर से अहमदाबाद हेतु वन्दे भारत ट्रेनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री जी ने गोरखपुर से लखनऊ वन्दे भारत ट्रेन में बच्चों से संवाद किया तथा स्टाफ को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इंजन का निरीक्षण भी किया। प्रधानमंत्री जी ने केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री श्री पंकज चौधरी के हासूपुर स्थित आवास पहुंचकर उनसे भेंट की।

गीता प्रेस शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ जी की तपोस्थली और अनेक संतां की साधना स्थली गीता प्रेस में संतों का आशीर्वाद फलीभूत होता है। उनका गोरखपुर आना ‘विकास भी विरासत भी’ की नीति का एक अद्भुत उदाहरण है।

जहां आज एक ओर उन्हें चित्रमय शिवपुराण एवं नेपाली भाषा में शिवपुराण पुस्तक के विमोचन का सौभाग्य मिला, वहीं दूसरी ओर गोरखपुर रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का कार्य भी शुरू होने जा रहा है। गोरखपुर से लखनऊ एवं जोधपुर से अहमदाबाद के बीच चलने वाली वंदेभारत एक्सप्रेस को भी रवाना किया जाएगा। वंदेभारत ट्रेन ने देश के माध्यम वर्ग के लोगों की सुविधाओं को एक नई उड़ान दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस विश्व का एक ऐसा एकमात्र प्रिण्टिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि एक जीवन्त आस्था है। गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी भी मन्दिर से कम नहीं है। इसके नाम में भी गीता है और इसके काम में भी गीता है। जहां पर गीता है, वहां पर साक्षात कृष्ण हैं और जहां पर कृष्ण हैं, वहां पर करुणा, कर्म भी है। वहां ज्ञान का बोध भी है और विज्ञान का शोध भी है। क्योंकि गीता का वाक्य है ‘वासुदेवः सर्वम्’ अर्थात सब कुछ वासुदेव में है सब कुछ वासुदेव से ही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 1923 में गीता प्रेस के रूप में जो आध्यात्मिक ज्योति प्रज्ज्वलित हुई, आज उसका प्रकाश पूरी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है। हमारा सौभाग्य है कि आज हम सभी इस मानवीय मिशन के शताब्दी वर्ष के साक्षी बन रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर केन्द्र सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार भी दिया है।

गांधी का गीता प्रेस से भावानात्मक जुड़ाव था। एक समय में गांधी जी ‘कल्याण’ के माध्यम से गीता प्रेस के लिए लिखा करते थे। गांधी जी ने सुझाव दिया था कि ‘कल्याण’ पत्रिका में विज्ञापन न छापे जाएं। गीता प्रेस, गांधी जी के उस सुझाव का शत-प्रतिशत अनुसरण कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है, यह देश की ओर से गीता प्रेस का सम्मान है। यह पुरस्कार गीता प्रेस के योगदान और इसके 100 वर्षों की विरासत का सम्मान है। इन 100 वर्षों में गीता प्रेस द्वारा करोड़ों किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। यह संख्या किसी को भी हैरान कर सकती है।

यह पुस्तकें लागत से भी कम मूल्य पर बिकती हैं तथा घर-घर पहुंचाई जाती है। इस विद्या प्रवाह से कितने लोगों को आध्यात्मिक-बौद्धिक तृप्ति दी होगी, समाज के लिए कितने समर्पित नागरिकों का निर्माण किया होगा। उन्होंने उन विभूतियों का अभिनन्दन किया, जो इस यज्ञ में निष्काम भाव से बिना किसी प्रचार के अपना सहयोग देते रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर गीता प्रेस के संस्थापक सेठजी श्री जयदयाल गोयन्दका तथा ‘कल्याण’ पत्रिका के जीवनपर्यन्त सम्पादक रहे भाईजी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस जैसी संस्था, सिर्फ धर्म व कर्म से नहीं जुड़ी है, बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है। गीता प्रेस भारत को जोड़ती है तथा भारत की एकजुटता को सशक्त करती है। देश भर में इसकी 20 शाखाएं हैं। देश के हर कोने में रेलवे स्टेशनों पर हमें गीता प्रेस का स्टॉल देखने को मिलता है।

15 अलग-अलग भाषाओं में यहां से करीब 1,600 प्रकाशन होते हैं। गीता प्रेस अलग-अलग भाषाओं में भारत के मूल चिन्तन को जन-जन तक पहुंचाती है। गीता प्रेस एक तरह से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को प्रतिनिधित्व देती है। गीता प्रेस ने अपने 100 वर्षां की यह यात्रा एक ऐसे समय में पूरी की है, जब देश अपनी आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है। इस तरह के योग केवल संयोग नहीं होते।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 1947 के पहले भारत निरन्तर अपने पुनर्जागरण के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में प्रयास कर रहा था। अलग-अलग संस्थाओं ने भारत की आत्मा को जगाने के लिए आकार लिया। इसी का परिणाम था कि वर्ष 1947 आते-आते भारत मन और मानस से गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हुआ। गीता प्रेस की स्थापना भी उसका एक बहुत बड़ा आधार बनी। 100 साल पहले के ऐसे समय जब सदियों की गुलामी ने भारत की चेतना को धूमिल कर दिया था। इससे भी सैकड़ों साल पहले विदेशी आक्रांताओं ने हमारे पुस्तकालयों को जलाया था।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि अंग्रेजों के दौर में गुरुकुल और गुरु परम्परा लगभग नष्ट कर दी गयी थी। ज्ञान और विरासत लुप्त होने के कगार पर थी। हमारे पूज्य ग्रंथ गायब होने लगे थे, जो प्रिण्टिंग प्रेस भारत में थे, वो महंगी कीमत के कारण सामान्य मानवी की पहुंच से बहुत दूर थे। कल्पना कीजिए कि गीता और रामायण के बिना हमारा समाज कैसे चल रहा होगा। जब मूल्यों और आदर्शां के स्रोत ही सूखने लगें, तो समाज का प्रवाह अपने आप थमने लगता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि भारत की अनादि यात्रा में ऐसे कितने ही पड़ाव आए हैं, जब हम और ज्यादा परिष्कृत होकर निकले हैं। कितनी ही बार अधर्म और आतंक बलवान हुआ है, सत्य पर संकट के बादल मडराए हैं। लेकिन तब हमें श्रीमद्भगवद्गीता से ही सबसे बड़ा विश्वास मिलता है। ‘यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्’ अर्थात जब-जब धर्म और सत्य की सत्ता पर संकट आता है, तब-तब ईश्वर उसकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता का 10वां अध्याय बताता है कि ईश्वर कितनी ही विभूतियों के रूप में सामने आ सकते हैं। कभी कोई संत आकर समाज को नई दिशा दिखाते हैं, तो कभी गीता प्रेस जैसी संस्थाएं मानवीय मूल्यों और आदर्शों को पुनर्जीवित करने के लिए जन्म लेती हैं। इसलिए ही वर्ष 1923 में जब गीता प्रेस ने कार्य करना शुरू किया, तो भारत के लिए उसकी चेतना और चिन्तन का प्रवाह तेज हो गया। गीता सहित हमारे धर्मग्रंथ फिर से घर-घर गूंजने लगे। मानस फिर से भारत के मानस से हिल-मिल गई। इन ग्रंथों से पारिवारिक परम्पराएं और नई पीढ़ियां जुड़ने लगीं। हमारे पवित्र ग्रंथ आने वाली पीढ़ियों की थाती बनने लगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस इस बात का भी प्रमाण है कि जब आपके उद्देश्य पवित्र होते हैं, आपके मूल्य पवित्र होते हैं, तो सफलता आपका पर्याय बन जाती है। गीता प्रेस एक ऐसा संस्थान है, जिसने हमेशा सामाजिक मूल्यों को समृद्ध किया है, लोगों को कर्तव्य पथ का रास्ता दिखाया है।

गंगा जी की स्वच्छता की बात हो, योग विज्ञान की बात हो, पतंजलि योग सूत्र का प्रकाशन हो, आयुर्वेद से जुड़ा आरोग्य अंक’ हो, भारतीय जीवनशैली से लोगों को परिचित कराने के लिए ‘जीवनचर्या अंक’ हो, समाज में सेवा के आदर्शों को मजबूत करने के लिए ‘सेवा अंक’ और ‘दान महिमा’ हो, इन सब प्रयासों के पीछे, राष्ट्रसेवा की प्रेरणा जुड़ी रही है, राष्ट्र निर्माण का संकल्प रहा है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि संतों की तपस्या कभी निष्फल नहीं होती, उनके संकल्प कभी शून्य नहीं होते। इन्हीं संकल्पों का परिणाम है कि आज हमारा भारत सफलता के नित्य नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने लालकिले से कहा था कि यह समय गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर अपनी विरासत पर गर्व करने का समय है।

इसीलिए आज देश विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आज एक ओर भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी में नए रिकॉर्ड बना रहा है। साथ ही, सदियों बाद काशी में विश्वनाथ धाम का दिव्य स्वरूप भी देश के सामने प्रकट हुआ है। आज हम वर्ल्डक्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं। साथ ही, केदारनाथ और महाकाल महालोक जैसे तीर्थों की भव्यता के साक्षी भी बन रहे हैं। सदियों बाद अयोध्या में भव्य राम मन्दिर का सपना पूरा होने जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आजादी के 75 साल बाद भी अपनी नौसेना के झण्डे पर गुलामी के प्रतीक चिन्ह को ढो रहे थे। हम राजधानी दिल्ली में भारतीय संसद के बगल में अंग्रेजी परम्पराओं पर चल रहे थे। हमने पूरे आत्मविश्वास के साथ इन्हें बदलने का कार्य किया है। हमने अपनी धरोहरों एवं भारतीय विचारों को वह स्थान दिया है, जो उन्हें मिलना चाहिए था। इसीलिए अब भारत की नौसेना के झण्डे पर छत्रपति शिवाजी महाराज के समय का निशान दिखाई दे रहा है।

अब गुलामी के दौर का राजपथ, कर्तव्यपथ बनकर कर्तव्य भाव की प्रेरणा दे रहा है। आज देश की जनजातीय परम्परा का सम्मान करने के लिए, देश भर में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम बनाए जा रहे हैं। हमारी जो पवित्र प्राचीन मूर्तियाँ चोरी करके देश के बाहर भेज दी गईं थीं, वो भी अब वापस हमारे मन्दिरों में आ रही हैं। जिस विकसित और आध्यात्मिक भारत का विचार हमारे मनीषियों ने हमें दिया है, आज हम उसे सार्थक होता हुआ देख रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रदेश की जनता एवं शासन की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी देश के महान सपूत एवं नये भारत के निर्माता हैं। उन्होंने देश को वैश्विक पहचान दिलायी है। विगत 09 वर्षां में हम सभी ने देश के विकास की एक नयी यात्रा के साथ-साथ आस्था व विरासत को मिल रहे सम्मान तथा वैश्विक स्तर पर भारत को मिल रही पहचान को देखा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नये भारत में समग्र भारत के विकास की अवधारणा चरित्रार्थ होती हुई दिखाई दे रही है। आज देश की गौरवशाली आस्था व विरासत को एक नई पहचान मिली है। योग भारत की अति प्राचीन विधा रही है, लेकिन योग को पहली बार वैश्विक पहचान प्राप्त हुई, जब प्रत्येक वर्ष 21 जून की तिथि को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त हुई।

वर्तमान में 180 देश भारत की ऋषि परम्परा के इस प्रसाद और उपहार के साथ जुड़कर देश के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं। कुम्भ को विश्व की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता देकर प्रयागराज कुम्भ को वैश्विक मान्यता दिलाने का कार्य वर्ष 2019 में हुआ, जिसे देश और दुनिया ने देखा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की गौरवशाली आस्था के प्रति सम्मान और पुनर्स्थापना का कार्य किस रूप में होना है, यह कार्यक्रम काशी में श्री काशी विश्वनाथ धाम, केदारनाथ में केदारपुरी, बदरिका आश्रम में बद्रीनाथ धाम, महाकाल में महाकाललोक की पुनर्स्थापना के रूप में सम्पन्न हुआ है।

500 वर्षां के इन्तजार के बाद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के भव्य निर्माण का कार्य किया जा रहा है। देश में विगत 09 वर्षां से विभिन्न गरीब कल्याण की योजनाएं संचालित की जा रही हैं। आजादी के बाद से कभी भी इतनी योजनाएं संचालित नहीं हुईं। विश्व में अन्य कोई देश भी इतनी मात्रा में गरीब कल्याण योजनाओ को आगे नहीं बढ़ा पाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस अपनी 100 वर्ष की यात्रा को लेकर आगे बढ़ा है। आजादी के बाद से अब तक के 75 वर्षों में देश का कोई भी प्रधानमंत्री गीता प्रेस में नहीं आया था। गीता प्रेस भारत की मूल आत्मा को झंकृत एवं जागृत करने का कार्य करता रहा है। पहली बार देश के किसी प्रधानमंत्री ने गीता प्रेस को सम्मानित करने कार्य किया है।

प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में ज्यूरी द्वारा गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह न केवल गीता प्रेस, बल्कि भारत की उन सभी धरोहरों का सम्मान है, जो हमारी पहचान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 में जनपद गोरखपुर में श्रद्धेय श्री जयदयाल गोयन्दका ने एक किराये के मकान में अपने सहयोगियों के साथ गीता प्रेस की स्थापना की थी। आज इस छापे खाने का प्रधानमंत्री जी द्वारा अवलोकन किया गया। गीता प्रेस विगत 100 वर्षां के अनेक उतार-चढ़ाव को देखते हुए लगभग 100 करोड़ प्रकाशन करने की ओर अग्रसर है। भारत की विशुद्ध सनातन परम्परा से जुड़ी हुई, विभिन्न भाषाओं में गीता प्रेस का प्रकाशन आज देश के लगभग हर घर में मौजूद है। गीता प्रेस भारतीयों को गौरवान्वित करने के साथ ही, उनको अपने मूल के साथ जोड़ने का कार्य करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में आस्था के सम्मान के साथ विकास की नयी यात्रा देखने को मिल रही है। विगत 30 वर्षां से बन्द पड़ा गोरखपुर का खाद कारखाना आज अपनी 110 प्रतिशत क्षमता के साथ कार्य कर रहा है। जनपद में एम्स की कल्पना साकार हुई है। गोरखपुर एम्स पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व नेपाल के बड़े भूभाग के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा रहा है।

गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारियों के समाधान के लिए आई0सी0एम0ए0आर0 के रिसर्च सेण्टर की स्थापना का कार्य गोरखपुर में हुआ है। रामगढ़ताल आज एक शानदार सरोवर के रूप में अपनी एक नई पहचान बना रहा है। गोरखपुर से आज 14 हवाई सेवाएं संचालित की जा रही हैं। नए भारत की नई ट्रेन वंदे भारत का आज गोरखपुर से लखनऊ के लिए एवं जोधपुर से अहमदाबाद के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा शुभारम्भ किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत को प्रतिष्ठा प्राप्त हो रही है। पापुआ न्यूगिनी, फिजी, आस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता देश के 140 करोड़ लोगों को गौरवान्वित कर रही है। यह हर भारतीय को आगे बढ़ाने के लिए एक नई प्रेरणा प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है कि ‘यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते’ अर्थात श्रेष्ठ पुरुष जिस प्रकार का आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करने लगते हैं।

वह जिस प्रकार का प्रमाण प्रस्तुत करता है, लोक के लिए भी वह नई प्रेरणा होती है। आज नया भारत प्रधानमंत्री जी का अनुगामी बनकर उनके मार्ग का अनुसरण करते हुए देश और दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने के उनके संकल्पों के साथ कार्य कर रहा है। आज देश व प्रदेशवासी विकास की नयी यात्रा से जुड़ने के लिए अभिभूत हैं।

गीता प्रेस बोर्ड को शताब्दी अवसर पर बधाई देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गीता प्रेस जुड़े ट्रस्टी साहित्य के माध्यम से सनातन धर्म की आवाज को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपने संस्थापकों की भावना के अनुरूप इस प्रेस ने अपनी 100 वर्ष की यात्रा को जिस प्रकार शानदार तरीके से आगे बढ़ाया है, भविष्य में भी उसी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाने का कार्य करेगा।

इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, सांसद श्री रविकिशन शुक्ल सहित जनप्रतिनिधिगण, गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के चेयरमैन श्री केशवराम अग्रवाल, जनरल सेक्रेटरी श्री विष्णु प्रसाद चांदकोटिया सहित अन्य पदाधिकारी तथा शासन-प्रशासन के अधिकारी उपस्थित थे।

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