
जत्थेदार मंड ने सीएम भगवंत मान को तनखइया घोषित किया
सरबत खालसा के जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड ने सिख गुरुद्वारा अधिनियम-1925 में संशोधन करके सिख धर्म में कथित अनावश्यक हस्तक्षेप के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान को श्री अकाल तख्त से तनखइया (धार्मिक मामले में आरोपी) घोषित किया है।
जत्थेदार मंड ने श्री अकाल तख्त के सचिवालय के बाहर इस संबंध में आदेश जारी किया। मंड ने अपना स्पष्टीकरण देने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान को शुक्रवार को तीसरी बार श्री अकाल तख्त पर उपस्थित होने के लिए बुलाया था लेकिन वह नहीं आए।
मंड ने कहा कि श्री अकाल तख्त की मर्यादा और परंपराओं के अनुसार मुख्यमंत्री को स्पष्टीकरण के लिए तीन अवसर दिए गए थे। पिछली बार मुख्यमंत्री ने एक सीलबंद लिफाफा में अपना पत्र भेजा था, जिसे स्पष्टीकरण के रूप में लिया गया और कार्रवाई कुछ
दिनों के लिए टाल दी गई लेकिन पत्र में कुछ भी नहीं था जो स्पष्ट करता हो कि मुख्यमंत्री ने गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन कर सिख धर्म के लिए कुछ सार्थक किया हो, बल्कि ऐसा लग रहा था कि यह सब साजिश के तहत जानबूझकर दुर्भावना से किया गया था।
पंथक समारोह में न बुलाने की अपील
पत्र के शब्दों से ऐसा भी लगता है कि मुख्यमंत्री को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। श्री अकाल तख्त को भी मुख्यमंत्री ने सिर्फ एक मजाक के रूप में लिया है, जिसके चलते मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को तनखइया घोषित किया जाता है।
उन्होंने समस्त खालसा पंथ और संगत से अपील की है कि जब तक भगवंत मान श्री अकाल तख्त पर आकर माफी नहीं मांग लेते तब तक उन्हें किसी भी पंथक समारोह या गुरुद्वारे के मंच से बोलने की इजाजत न दी जाए और न ही उन्हें सिरोपा दिया जाए।