
यूपी में बिना पद के प्रोटोकॉल मिलने वाले प्रकरण में राजनीति जारी: विपक्ष ने बनाया मुद्दा, कैबिनेट मंत्री ने की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में बगैर पद के सरकारी प्रोटोकॉल मिलने के कथित मामले में विपक्ष ने सरकारी तंत्र को निशाने पर लिया है। सपा ने जहां इस प्रकरण को व्यवस्था के दुरुपयोग का मामला बताया है वहीं, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव ने अपने बेटे से जुड़े ऐसे आरोपों के मद्देनजर निजी सचिव आनंद शर्मा को हटा दिया है।
हालांकि उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ का तर्क है कि सचिवालय कैडर का कोई भी अधिकारी बिना निर्देश के कोई पत्र जारी नहीं करता है। जिसने निर्देश दिए उसे सामने आकर माफी मांगनी चाहिए। मालूम हो कि निजी सचिव आनंद कुमार द्वारा मंत्री पुत्र के लिए प्रोटोकाल संबंधी एक पत्र डीएम और एसपी जालौन को तिरंगा यात्रा कार्यक्रम के मद्देनजर जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उनके आने जाने की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। वैसे, इस पत्र को एआई जनरेटेड बताया जा रहा है।
दरअसल, इंटरनेट मीडिया पर निजी सचिव का पत्र प्रसारित होने के बाद सरकार से लेकर भाजपा नेतृत्व तक ने इस मामले में नाराजगी जताई, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री ने निजी सचिव आनंद कुमार को हटा दिया। पूरे प्रकरण का संज्ञान लेते हुए सपा ने भी भाजपा को घेरने का काम किया।
नियमों के अनुसार, वीआईपी प्रोटोकॉल सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को दिया जा सकता है, जिन्हें जेड, जेड प्लस, वाई या वाई प्लस सुरक्षा प्राप्त हो। इसके अलावा मंत्री और उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों को भी प्रोटोकॉल मिलता है। इस श्रेणी में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, न्यायाधीश, सेना प्रमुख और इसी स्तर के अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल होते हैं।
वहीं, हाल ही में अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासम्मेलन में शामिल होने अयोध्या पहुंचे जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने वहां मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया किया कि इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होनी चाहिए थी। यह भाजपा है, अलग पार्टी है। यह वंशवाद, जातिवाद और परिवारवाद से ऊपर उठकर पार्टी है। आठ वर्षों में कभी ऐसी हरकत नहीं हुई।