
हिला समानता की मिसाल हैं भारत की ये महिलाएं, बढ़ा रहीं देश का मान
महिलाओं की स्थिति में कुछ बदलाव हो रहा है। एक दौर था जब भारत समेत कई देशों में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार और सम्मान नहीं मिलता था। महिलाओं को हमेशा पुरुषों से कमतर माना जाता था। आज भी कई ऐसे देश हैं, जहां महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं मिला है। अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए महिलाएं आवाज उठा रही हैं। उनकी इसी आवाज को समर्थन देने के लिए हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
दुनियाभर में महिला समानता दिवस के जरिए लोगों को महिलाओं के सम्मान, उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। भारत में कई ऐसी दिग्गज महिलाएं हैं जो वर्तमान में अपने क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही हैं। खेल जगत से लेकर राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर प्रशासनिक सेवा क्षेत्र में समान अधिकारों के साथ कार्यरत हैं। महिला समानता दिवस के मौके पर जानिए नारी शक्ति की मिसाल भारतीय महिलाओं के बारे में।

द्रौपदी मुर्मू
भारत के सर्वोच्च पद पर एक महिला आसीन हैं। यहां बात हो रही है देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की। महिला समानता की सबसे बड़ी मिसाल इन दिनों भारत में द्रौपदी मुर्मू को माना जा सकता है। वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्षों से भरा रहा। तीन बच्चों के निधन के बाद पति को खोने का गम सहने वाली द्रौपदी मुर्मू ने परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी, बल्कि देश सेवा में अपना जीवन लगा दिया। राष्ट्र निर्माण के लिए पहले पायदान पर कार्य करते हुए वह राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी निभा रही हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज देश की सबसे दमदार महिला राजनीतिज्ञों में शामिल हैं। भारत ही नहीं विदेशों तक सीतारमण का नाम मशहूर है। भारत के लगभग हर घर में महिलाओं को मितव्ययिता सिखाई जाती है। इस गुण से नारी घर चलाती हैं तो वहीं देश भी चलाती है, इस बात को निर्मला सीतारमण ने साबित किया। निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री हैं, जिन्हें मोदी सरकार में पद मिला। वह लगातार देश की वित्त मामलों को संभाल रही हैं। इसके पहले वह देश की रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह
देश की रक्षा की जिम्मेदारी केवल पुरुषों तक सीमित नहीं। भारत की बेटियों ने सेना में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाते हुए महिला समानता का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है। पिछले साल भारतीय वायुसेना के बेड़े में राफेल शामिल हुआ। इस दमदार लड़ाकू विमान को उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनने का श्रेय शिवांगी सिंह को जाता है। इसके पहले फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह मिग-21 की उड़ान भी भर चुकी हैं।

आईपीएस संजुक्ता पराशर
सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी में महिलाओं की स्थिति मजबूत होने के साथ ही देश के अंदर कानून व्यवस्था को बनाने के लिए महिलाएं हर साल आईपीएस की भर्ती में शामिल होती हैं। कई महिला आईपीएस जिलों जिलों में कार्यरत हैं। इन्हीं में से एक आईपीएस संजुक्ता पराशर हैं। असम में पोस्टेड इस महिला आईपीएस को लेडी सिंघम के नाम से जाना जाता है। उन्होंने महज 15 महीनों में 16 एनकाउंटर करके पुलिस विभाग के लिए रिकॉर्ड सेट कर दिया। संजुक्ता पराशर को असम के लोग आयरन लेडी ऑफ असम भी कहते हैं।

मीरा बाई चानू
जिन खेलों को कभी पुरुषों का माना जाता था, वहां भी भारतीय महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया। भारत की कई महिला एथलीट देश की नाम रोशन कर रही हैं। ओलंपिक खेलों में महिला एथलेटिक्स का दमखम देखने को मिला। भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिलाकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, बाद में काॅमनवेल्थ खेलों में भी शानदार प्रदर्शन किया। अपनी उपलब्धियों के साथ ही मीराबाई चानू महिला समानता की मिसाल बन गईं।



